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‘जिस दिन इंजीनियर बन जाओ, बता देना…’ सरकारी स्कूल में पढ़े बिहार के इस लड़के की Success Story पढ़कर आ जाएंगे आंखों में आंसू

Student's Real Life Motivational Story: पिता चुनचुन कुमार खेती करते हैं और मां किरण देवी गृहिणी है। खेती से घर का अनाज जितना हो पाता है, बाकि समय मजदूरी या छोटे-मोटे काम कर खर्च चलाना पड़ता है।

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कोटा

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Akshita Deora

Apr 22, 2025

JEE Mains 2025 Sujit Madhav success story: यदि हौसला मजबूत और लक्ष्य आंखों में हो तो तमाम बाधाओं के बावजूद सफलता की नई कहानी गढ़ते देर नहीं लगती। कॅरियर सिटी कोटा की कोचिंग, केयरिंग और बच्चे की लगन ने एक बार फिर बेमिसाल सक्सेस स्टोरी लिखी है।

बिहार के शेखपुरा के मजदूर परिवार के सुजीत माधव ने जेईई मेन्स में 98.555 पर्सेन्टाइल स्कोर के आधार पर एडवांस्ड के लिए क्वालीफाई किया है। परिवार की माली हालत के साथ सुजीत अपनी मां की बीमारी को लेकर भी पिछले दो साल से परेशान है, लेकिन उसने हार नहीं मानी। सुजीत ने बताया कि कोटा के लोग काफी सपोर्टिव है। उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी तो पीजी संचालिका ने भी उसकी मदद की। संचालिका ने कहा कि आप पढ़ाई करो, किराए की टेंशन मत लो। जिस दिन इंजीनियर बन जाओ, बता देना मेरे लिए वही किराया है।

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दो साल से तलवंडी में जिस पीजी में रह रहा हूं, उसका मुश्किल से दो या तीन बार किराया दिया है। फीस भरने के पैसे नहीं थे तो कोचिंग ने 70 फीसदी तक रियायत दे दी। उसने जेईई मेन 2025 में एआइआर-22268 और ओबीसी कैटेगरी रैंक 5625 प्राप्त की है।

सुजीत ने सरकारी स्कूल से पढ़ाई की है। पिता चुनचुन कुमार खेती करते हैं और मां किरण देवी गृहिणी है। खेती से घर का अनाज जितना हो पाता है, बाकि समय मजदूरी या छोटे-मोटे काम कर खर्च चलाना पड़ता है। घर भी आधा कच्चा आधा पक्का बना हुआ है। पढ़ाई में होशियार था। इसलिए पिता ने गांव में ब्याज पर पैसा उधार लेकर उसे कोटा भेजा। बड़े भाई रजनीश कुमार ने बताया कि हम तीन भाई और एक बहन है। सुजीत घर पर रहता था तो घास काटने जाता था। गाय चराने जाता था, लेकिन पढ़ाई में अव्वल था। आठवीं में दसवीं क्लास की ट्रिग्नोमेट्री के सवाल हल कर लिया करता था।

मां को पहले ब्रेन हेमेरेज, फिर कैंसर ने घेरा

सुजीत यहां अच्छा प्रदर्शन कर रहा था, लेकिन 8 नवंबर 2023 को मां को ब्रेन हेमरेज हो गया। काफी परेशान रहा। कुछ दिनों के लिए घर गया लेकिन 12वीं की परीक्षा देनी थी, इसलिए भाई के समझाने पर कोटा लौट आया। यहां फैकल्टीज ने मोटिवेट किया और उसने 12वीं 81 प्रतिशत से पास की। पिछले साल मां को कैंसर ने भी घेर लिया। एम्स पटना में इलाज चल रहा है।

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