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पर्यटकों के लिए खुशखबरी: भैंसरोडगढ़ अभयारण्य में मिलेगा जंगल सफारी का मौका, खुले वाहनों में नजदीक से देख सकेंगे वन्यजीव

Bhainsrorgarh Wildlife Sanctuary: भैंसरोडगढ़ अभयारण्य में जल्द ही पर्यटकों को जंगल सफारी का मौका मिलेगा।

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कोटा

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Zuber Khan

Oct 19, 2019

Bhainsrorgarh Wildlife Sanctuary

पर्यटकों के लिए खुशखबरी: भैंसरोडगढ़ अभयारण्य में मिलेगा जंगल सफारी का मौका, खुले वाहनों में नजदीक से देख सकेंगे वन्यजीव

रावतभाटा. सांभर, चीतल जैसे वन्य जीवों की वृद्धि करने के उद्देश्य से वर्ष 2001-2002 में भैंसरोडगढ़ वन्य जीव अभयारण्य ( Bhainsrorgarh Wildlife Sanctuary ) क्षेत्र में स्थापित पुनर्वास केन्द्र धीरे-धीरे पर्यटकों की पहली पसंद बनता जा रहा है। विक्रम नगर कॉलोनी से महज तीन किलोमीटर दूर भैंसरोडगढ़़ वन्यजीव अभयारण्य रेंज कार्यालय के पीछे 300 हैक्टेयर के क्लोजर में ट्रेकिंग किसी घने वन में भ्रमण के समान ही प्रतीत होती है। यहां आने वाले पर्यटकों ( Tourists ) से सालाना करीब तीन लाख रुपए आय हो रही है। इसको देखते हुए वन विभाग ने भी पर्यटकों को लुभा कर राजस्व बढ़ाने की कवायद शुरू कर दी है। ठंड के मौसम में केन्द्र में स्थानीय और बाहरी पर्यटकों का तांता लगा रहता है।

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पहली पसन्द क्रोकोडाइल पॉइंट
पुनर्वास केन्द्र स्थित क्रोकोडाइल पॉइंट पर प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में पर्यटक मगरमच्छों को देखने आते हैं। चम्बल नदी केचमेंट क्षेत्र में करीब 225 से ज्यादा मगरमच्छों का डेरा है। रेंज कार्यालय से करीब डेढ़ किमी दूरी पर स्थित चम्बल नदी में क्रोकोडाइल पॉइंट पर सर्दी में दर्जनों मगरमच्छ देखे जा सकते हैं।

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पर्यटक नदी से करीब 20 मीटर दूर स्थित वॉच टावर से मगरमच्छों को निहारते हैं। वहीं पुनर्वास केन्द्र में चम्बल नदी किनारे स्थित क्रोकोडाइल पॉइंट वॉच टावर, आरपीएस वॉच टावर, एनपीसीआईएल वॉच टावर तक जाने के लिए जंगल के बीच चार किलोमीटर टेढ़े-मेढ़े घुमावदार इको ट्रेल मार्ग से होकर गुजरना किसी घने जंगल से गुजरने के अहसास से कम नहीं है। वन विभाग की ओर से पुनर्वास केन्द्र में वन्य जीवों की मूवमेंट पर निगरानी रखने के लिए चार ट्रेप कैमरे लगा रखे हैं। गर्मी के दिनों में भी क्लोजर क्षेत्र में पेड़ हरे-भरे रहे और शाकाहारी वन्यजीवों के लिए हरी घास सुलभ हो सके। इसके लिए फव्वारे लगा रखे हैं।

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पर्यटकों को करते हैं आकर्षित
राणा प्रताप सागर बांध के निकट चम्बल नदी के किनारे स्थापित पुनर्वास केन्द्र को 6 फीट ऊंची तथ करीब 2554 मीटर लम्बी तीन तरफ दीवार बनाकर बंद किया गया है। पिछले हिस्से में चम्बल नदी का भराव क्षेत्र है। वन्यजीवों की वृद्धि और संरक्षण के लिए की गई घेराबंदी में फिलहाल चार पैंथर, एक शावक, एक दर्जन लकड़बग्गे, एक दर्जन सियार, खरगोश, सांभर, जंगली बिल्ली, बिच्छू, कबर बिच्छू, नीलगाय, जंगली सुअर, सैही, अजगर, कई प्रजातियों के सर्प व पक्षी विचरण करते देखे जा सकते हैं। जो कि पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण के केन्द्र है।


नए कार्यों के लिए भेजे हैं प्रस्ताव
क्रोकोडाइल पॉइंट पर नदी में विचरण करते मगरमच्छों को पास से निहारने के लिए वॉच टॉवर से नदी तक 20 मीटर की दूरी तक सीमेंट की रेम्प बनाई जाएगी। सुरक्षा की दृष्टि से इसके दोनों तरफ लोहें की जाली लगा कर फेसिंग करवाई जाएगी। इसके अलावा फिलहाल क्लोजर क्षेत्र में भ्रमण के लिए आए पर्यटक अपने निजी वाहनों से चार किमी इको ट्रेल मार्ग से होकर वॉच टावरों तक पहुंचते है। वन विभाग का इलेक्ट्रिक चारों तरफ से खुले वाहन चलाकर पर्यटकों को जंगल की ट्रेकिंग करवाने का मानस है। इन दोनों कार्यों के लिए प्रस्ताव बनवा कर भिजवा रखे है।


गत वर्षों के मुकाबलें पुनर्वास केंन्द्र में आने पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। स्थानीय लोगों के अलावा काफी दूरस्थ क्षेत्र से लोग भ्रमण के लिए आने लगे हैं। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पुनर्वास केन्द्र में कुछ और भी कार्य करवाए जाएंगें।
दिनेश नाथ, क्षेत्रीय वनाधिकारी, भैंसरोडगढ वन्यजीव अभ्यारण