
कर्मवीर योद्धा: बेटा देखते ही लिपट जाता है, इसलिए छिपकर रहता हूं, 15 दिन से मासूम को छुआ तक नहीं, पढि़ए, डॉक्टर पिता की कहानी...
बारां. जानलेवा कोराना वायरस के डर ने मरीजों के बीच दिनरात काम कर रहे चिकित्सकों व उनके परिजनों के बीच दूरी बढ़ा दी है, लेकिन आत्मीयता का बंधन और अधिक गहरा कर दिया है। जिला चिकित्सालय के पीएमओ डॉ. अख्तर अली को भी लॉकडाउन लागू होने के बाद कुछ इस तरह का अनुभव रहा है। इन दिनों वे अधिकांश समय चिकित्सालय में दे रहे है। जानते है कि अस्पताल में काम करते रहने से संक्रमित होने का खतरा है तो उन्होंने खुद व परिवार की रक्षा के लिए दूरी बना ली।
हाल यह है कि पिछले 15 दिनों से डॉ. अख्तर अली पत्नी व बच्चे ही नहीं बुजुर्ग माता-पिता से भी दूरी बनाकर रह रहे हैं। उनका कहना है कि घर में डेढ़ साल का बेटा है, जो मुझे देखते ही दोनों हाथ फैलाए दौड़ता हुआ मेरी तरफ आता है। उस वक्त उसे बाहों में लेने के बजाए मासूम नजरों से बचने की कौशिश करता हूं। डॉक्टर अख्तर का कहना है कि अस्पताल में हूं, बहुत ज्यादा जिम्मेदारी है तो संक्रमित होने का खतरा भी है।
पूरा परिवार प्रथम फ्लोर पर और मैं नीचे भू-तल के हिस्से में शिफ्ट हो गया हूं। मेरा बाथरूम अलग है, में पिछले 15 दिनों से अलग ही रहता हूं। खाना दे देते हैं, मैं खा ले लेता हूं। बच्चा है उसे गोद में नहीं लेता हूं। मम्मी पापा से जरूरी हुआ तो चार-पांच मीटर की दूरी रखता हूं, मैं हॉस्पिटल में हूं, बहुत ज्यादा एक्सोपाजर में हूं। घर पहूंचते ही तो नहाना रहता है, मेरे कपड़े धूप में अलग से सूखाना रहता है। खुद ही धोना रहता है। डॉ. अख्तर अली का कहना है कि मैं यह सब लॉकडाउन के प्रथम दिन से अपना रहा हूं, इससे अलग से रहना आदत में भी आ गया है।
Updated on:
09 Apr 2020 11:23 am
Published on:
09 Apr 2020 02:16 am
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