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राज्य सरकार के इस तुगलकी आदेश से निगम को तमाचा

locationकोटाPublished: Nov 09, 2016 08:40:00 am

Submitted by:

Harshwardhan bhati

नगर निगम की पुरानी गलती के कारण एक इमारत दो तरह की स्थिति में है। शहर के मंडोर पावटा रो स्थित होटल की तीन मंजिल वैध और दो मंजिल अवैध करार दी गई हैं। इमारत की 2 मंजिलों पर बने 22 कमरे सीज रहेंगे।

disputed hotel

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अगर आपको किसी ऊंची इमारत की ऊपरी मंजिलों पर हमेशा अंधेरा दिखे, तो चौंकिए मत, ये जोधपुर है। एक ऐसे ही भवन के खिलाफ जोधपुर नगर निगम ने कार्यवाही की थी, लेकिन उसके भवन मालिक सीधे जयपुर से तुगलकी आदेश ले आए हैं।
दिखाने के लिए अंधेरा
एक ही इमारत की नीचे की तीन मंजिलें वैध रहेंगी, लेकिन ऊपरी दो मंजिलें अवैध, जहां शायद लोगों को दिखाने के लिए अंधेरा छाया रहेगा!

इमारत में फिर रौनक 

एक साल पहले भारी हंगामे के बीच मंडोर रोड स्थित जिस बहुचर्चित बहुमंजिला इमारत को नगर निगम ने सीज किया था, अब उसी इमारत में फिर रौनक होने वाली है, पुराना किरायदार चला गया, अब नया आ चुका है।
चालाकी के आगे सब बेबस

भवन मालिक की चालाकी के आगे सब बेबस हैं। जयपुर में बैठी सरकार के नए आदेश ने निगम के आदेश व कई दिनों तक चली कार्रवाई पर पानी फेर दिया है। सरकार के तुगलकी आदेश के बाद निगम के अफसरों के सुर भी बदल गए हैं। भवन मालिक के ऊंचे रसूखात ने निगम की कार्रवाई पर तमाचा जड़ दिया है।
यह है सरकारी फरमान

इमारत में अवैध रूप से बनी दो मंजिलें सीज करने के आदेश देते हुए शेष बिल्डिंग सीज मुक्त कर दी, जबकि पूर्व में सरकार ने इमारत को नियमित करने का आवेदन यह कहते हुए रद्द कर दिया कि यह कंपाउंड की श्रेणी में नहीं आती।
दो मंजिलों को तोडऩे के आदेश थे

स्वायत्त शासन विभाग ने भी इस इमारत को गलत मानते हुए तकनीकी रिपोर्ट के आधार पर इमारत की ऊपरी दो मंजिलों को तोडऩे के आदेश दे दिए थे, लेकिन सरकार ने इस मामले में यह कहते हुए इमारत मालिक को राहत दे दी कि निर्माण में काफी रुपए लगे हंै, निगम सिर्फ नक्शे के विपरीत बनी ऊपरी दो मंजिलें सीज कर दे।
भवन मालिक को कई बार नोटिस भी दिए थे

निगम की ओर से भवन मालिक को कई बार नोटिस भी दिए गए थे। मामला कोर्ट में भी पहुंचा, लेकिन कोर्ट से कोई राहत नहीं मिलने के बाद निगम ने अवैध रूप से बने भवन की ऊपरी दोनों मंजिलों को तोडऩे की कार्यवाही शुरू की।
इमारत पर हथौड़ा चलने लगा

जद्दोजहद के बाद 28 सितंबर 2015 को इमारत पर हथौड़ा चलने लगा। भवन मालिक ने नुकसान से बचने के लिए कहा कि वह खुद अवैध निर्माण तुड़वा देगा, जिसे निगम आयुक्त ने मान लिया।
पतली गली निकल आई

हालांकि भवन मालिक ने केवल औपचारिकता की और राज्य सरकार के पास नियमन का आवेदन लेकर चला गया। निगम हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा और जयपुर में भवन के बचाव की पतली गली निकल आई।
कहीं नजीर न बन जाए यह फैसला

शहर की 87 इमारतों को निगम की हाईराइज कमेटी ने चिह्नित किया था। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि शहर में कई इमारतें अवैध हैं, तो कुछ ने जयपुर से ही मंजूरी ले रखी है। अगर अवैध मंजिलों वाली इमारतों को भी मंजूरी मिलेगी तो इससे अवैध निर्माण बढ़ जाएंगे।
पहले आयुक्त ने कहा था

तत्कालीन निगम आयुक्त हरिसिंह राठौड़ से उस समय कहा था कि भवन मालिक ने होटल का सामान नहीं हटाया तो सामान भी जब्त किया जाएगा। साथ ही, तकनीकी अधिकारी की उपस्थिति में कंप्रेसर लगाकर होटल की छत तोड़ी जाएगी।
बचाव में महापौर का जवाब

महापौर घनश्याम ओझा ने कहा कि नगर निगम की ओर से जितना नक्शा पास किया गया है, उस पर यदि कोई गतिविधि होती है, तो सही है। इस इमारत की दो मंजिल अवैध थीं, जो अभी भी सीज हैं।
अफसरों ने कहा, सही नहीं

निगम के अधिकारियों ने बताया कि स्वायत्त शासन विभाग का यह फैसला सही नहीं है। जिस इमारत का नियमन विभाग ने खारिज किया, उसी इमारत की दो मंजिलों को सीज कर के शेष इमारत में व्यावसायिक गतिविधि चलाने की अनुमति देना सही नहीं है।
भवन मालिक ने कहा

मंडोर रोड स्थित इस भवन के मालिक अमरचंद पुंगलिया से जब राजस्थान पत्रिका ने प्रतिक्रिया जाननी चाही, तो उन्होंने जवाब दिया, मैंने बहुत घाटा सह लिया, ऊपर की दो मंजिलें भले सीज रहेंगी, नीचे की मंजिलें दे दी हैं, बाकी आपकी कृपा चाहिए।


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