scriptBreaking News: यहां मौत की गोद में बैठें हैं हजारों कोचिंग स्टूडेंट्स | Kota Coaching hostels | Patrika News

Breaking News: यहां मौत की गोद में बैठें हैं हजारों कोचिंग स्टूडेंट्स

locationकोटाPublished: Jan 13, 2018 07:43:15 am

Submitted by:

​Zuber Khan

कोटा के कोचिंग हॉस्टलों में स्टूडेंट्स की जिंदगी से खिलवाड़ हो रहा है। यहां एक रूम का किराया 8 हजार लेकिन सुरक्षा के इंतजाम न के बराबर।

Kota Coaching  hostels
कोटा . हॉस्टल संचालक छात्रों की जिंदगी से इस कदर खिलवाड़ कर रहे हैं कि 13 साल पहले बेकार हो चुके सिलेंडर को आग बुझाने के लिए हॉस्टल में टांग रखा है। नीचे सैकड़ों छात्रों के लिए खाना बनाने का मैस है और उसके ऊपर ही दर्जनों छात्र रह रहे हैं। पत्रिका टीम ने हालात जाने तो दिखा कि बायोमेट्रिक हाजिरी और नाइट अटेंडेंस तो ज्यादातर हॉस्टल्स में कभी होते ही नहीं।
यह भी पढ़ें

जब बस्ती के बीच से निकलते हैं यमदूत तो सांसें रुक जाती है लोगों की, सड़कें हो जाती हैं खाली, घरों में कैद हो जाते हैं बच्चे



दशमेश रेजीडेंसी : इस हॉस्टल में भी बायोमेट्रिक मशीन की बजाय रजिस्टर पर ही हाजिरी लगाई जा रही थी। नाइट अटेंडेंस का भी कोई इंतजाम नहीं था। पांच मंजिला भवन के ग्राउंड फ्लोर पर मैस चलता है जिसमें सैकड़ों लोगों के लिए सुबह-शाम खाना पकता है। एलपीजी गैस से भरे कई सिलेंडर यहां रखे दिखे। ऊपर ही छात्रों के लिए रहने को कमरे बने हैं।

सुरक्षा : चार मंजिला हॉस्टल में 40 से ज्यादा हैं, लेकिन सुरक्षा का आलम यह कि गार्ड ही वार्डन का काम भी संभाल रहा। बायोमेट्रिक मशीन अब तक नहीं लगी। रजिस्टर में ही बच्चों के आने-जाने की अटेंडेंस होती है। नाइट अटेंडेंस का कोई इंतजाम नहीं।

कमरों के हाल
ग्राउंड फ्लोर पर एल्युमीनियम पार्टीशन कर छोटे कमरे बने हैं। 8 हजार रुपए किराए वाले इन कमरों में एक एग्जॉस्ट फैन तक नहीं। ऊपर की मंजिलों पर बने कमरों में सीलन से बदबू आ रही थी। सीसीटीवी कैमरे कहीं नहीं थे।
यह भी पढ़ें

रास्ते चलते जख्म दे रहा है ये, अब बेटे को छोडने जा रही मां को बनाया नि‍शाना



अग्निशमन यंत्र
गार्ड कम वार्डन महेश ने बताया कि आग बुझाने के लिए हॉस्टल में दो सिलेंडर हैं। उसने गैलरी में बैठने के लिए लगाए गए लकड़ी के डिब्बे को खोलकर एक सिलेंडर निकाला जिस पर एक्सपायरी डेट 2004 की थी। हॉस्टल के अंदर सीढिय़ों के नीचे कबाड़ से उसने दूसरा सिलेंडर निकाला। इस पर भी एक्सपायरी डेट 2011 की थी। इसके अलावा बिल्डिंग में आग बुझाने का कोई इंतजाम नहीं था। जबकि ग्राउंड फ्लोर पर अंदर बच्चों के लिए खाना पकाया जा रहा था।

यह भी पढ़ें

आखिर ऐसा क्या हुआ जो प्रदेश में सरकार को निजी स्कूलों के खिलाफ बिठानी पड़ी जाँच



केजी रेजीडेंसी
सुरक्षा : इस गल्र्स हॉस्टल में भी बायोमेट्रिक मशीन की जगह रजिस्टर में ही बच्चों की अटेंडेंस हो रही थी। नाइट अटेंडेंस का भी कोई इतंजाम नहीं। चार मंजिला हॉस्टल में चार ही सीसीटीवी कैमरे थे। इनमें भी एक खराब। पूरे हॉस्टल में आग बुझाने का कोई इंतजाम नहीं।

ट्रेंडिंग वीडियो