
अपहरण कर हत्या, धनिए के खेत में जलाया था शव
कोटा. पांच माह पहले 18 मई 2018 को शहर के भदाना से महेन्द्र वैष्णव नाम के व्यक्ति का अपहरण कर बारां जिले के चरड़ाना में ले जाकर हत्या कर दी गई थी। अगस्त माह में रेलवे कॉलोनी थाने में उसकी गुमशुदगी दर्ज होने पर भी पुलिस को हत्या का पता नहीं चला।
आरोपियों ने हत्या के बाद शव को फार्म हाउस पर रखे धनिए में जला दिया और पुलिस उसे गुमशुदा मानती रही। पांच माह गुजरने के बाद मृतक के पिता ने हत्या का अंदेशा होने की रिपोर्ट पेश की। इसके बाद पुलिस ने मामले को गंभीरता लिया और जांच हुई तो पता चला कि गुम हुए महेन्द्र वैष्णव की पांच माह पहले हत्या हो चुकी है।
पहले घरवालों को हत्या का अंदेशा भी नहीं था, इसलिए गुमशुदगी दर्ज कराई थी। घटनाक्रम के अनुसार 18 मई 2018 को आरोपियों ने महेन्द्र वैष्णव का भदाना से अपहरण किया। इसके बाद उसे आरोपी रामप्रसाद बैरागी ने बारां जिले के चरड़ाना गांव में ले जाकर फार्म हाउस पर साथियों के साथ मिलकर हत्या कर दी और शव जला दिया।
ऐसे खुला हत्याकांड
अगस्त माह में गुमशुदगी दर्ज होने के बाद काफी समय तक जब महेन्द्र वैष्णव का पता नहीं चला और उसकी हत्या का अंदेशा हुआ तो पिता कजोड़दास ने 20 अक्टूबर 2010 को रेलवे कॉलोनी थाने में एक रिपोर्ट पेश की। पुलिस ने मृतक महेन्द्र वैष्णव के मोबाइल की कॉल डिटेल निकलवाई और जिस मकान में वह रहता था, वहां से गुप्त रूप से जानकारी हासिल की। इसमें आरोपी रामप्रसाद बैरागी का नाम सामने आया।
आरोपी रामप्रसाद बारां जिले की अटरू तहसील के चरड़ाना गांव का रहने वाला है और विज्ञान नगर पुराने थाने के पीछे रह रहा था। पुलिस ने उसके घर दबिश देकर पूछताछ की। इसमें उसने स्वीकार किया कि उसने साथियों के साथ महेन्द्र को चरड़ाना फार्म हाउस पर ले जाकर मार दिया। शव को फार्म हाउस में धनिए के कचरे में डालकर उसी दिन जला दिया। रामप्रसाद की सूचना पर पुलिस ने चरड़ाना जाकर जांच की तो वहां जली हुई हड्डियों जैसे टुकड़े बरादमद हुए। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
एसपी के निर्देश पर हुई जांच
मृतक के पिता की रिपोर्ट पेश होने पर पुलिस अधीक्षक दीपक भार्गव ने एएसपी राजेश मील, वृत्ताधिकारी भंवर सिंह सहित कई अन्य निरीक्षक और पुलिसकर्मियों को शामिल कर जांच दल गठित किया।
Published on:
22 Oct 2018 08:00 am
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