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कमाल की कारीगरी : 8वीं पास पिता ने दिया ऑल इंडिया टॉपर

12 से 13 घंटे नियमित रूप से की पढ़ाई से मिली सफलता शादाब ने बताया कि वह रोजा 12 से 13 घंटे पढ़ाई करते थे।

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कोटा

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Rajesh Tripathi

Jan 24, 2019

 

कोटा.सफलताओं का आसमान न अमीरी देखता है न गरीबी, न कोई जात-पात न धन दौलत। बस खुद ही को कर बुलंद इतना कि खुदा बंदे से पूछे बता तेरी रजा क्या है।

कुुछ इसी तरह की बातों में विश्वास रखते हैं विज्ञान नगर विस्तार योजना के शादाब हुसैन अंसारी। शादाब ने सीए फाइनलके परिणाम में ऑल इंडिया टॉप किया है। शादाब का परिवार मध्यमवर्गीय है और पिता टेलरिंग करते हैं। शादाब बताते हैं कि उन्होंने 11 वी कक्षा में कॉमर्स विषय लेकर ही तय कर लिया था कि उन्हें सीए बनना है। जिस तरह अर्जुन को सिर्फ मछली की आंख लक्ष्य के रूप में नजर आती थी, शादाब ने सीए बनने का लक्ष्य बना लिया था। शादाब ने बताया कि वह रोजाना 12 से 13 घंटे पढ़ाई करते थे। इस दौरान उन्होंने न टीवी की ओर ध्यान दिया न ही मोबाईल की ओर ध्यान दिया। परिवार में उनसे छोटी ***** है। तीन बड़ी बहनों की शादी हो है। पिता मोहम्मद रफीक टेलर है और दसवी तक भी पढ़े नहीं है। शदाब मानते हैं उनकी सफलता में परिवार का पूरा सहयोग है। यह कोई जरूरी नहीं होता है कि कौन कितना पढ़ा है। संस्कार महत्वपूर्ण होते हैं। परिवार से अच्छे संस्कार और सपोर्ट मिला इसी कारण सफलता हांसिल हुई। शादाब बताते हैं कि सफलता के लिए हार्ड वर्क जरूरी होता है।

हार्डवर्क जरूरी

शादाब बताते हैं कि सफलता के लिए मेहनत लगन हार्ड वर्क जरूरी होता है, मैने इसमें अपनी और से कोई कमी नहीं रखी। हर इंसान अपना कोई लक्ष्य बनाले और कठोर परिश्रम करे तो कोई मंजिल मुश्किल नहीं।

पिता देते थे हिम्मत

हालांकि शादाब अपनी सफलता को लेकर पूरी तरह से आशान्वित थे, लेकिन परीक्षा के दिनों में कभी कभी उनका आत्मविश्वास टूट जाता था, उन्हें लगता था कि सफल नहीं हुए तो क्या होगा। इससे शादात को तनाव हो जाता था, लेकिन पिता मोहम्मद रफीक व परिवार के लोग हिम्मत देते थे तो वापिस विश्वास के साथ पढ़ाई में जुट जाते थे।

साथियों को संदेश

शादाब ने बताया कि वह अपने जैसे युा साथियों व बच्चों से कहना चाहते हैं कि अपने आप को गलत लोगों से दूर रखें। अच्छे लोगों के साथ रहेंगे तो अच्छा ही कुछ सीखने को मिलेगा। मोबाइल का उपयोग करना ठीक है, लेकिन इन्हें अपनी आदत बनाकर कीमती समय व्यर्थ मत करो।शादाब बताते हैं कि सोशल मीडिया से आज के बच्चे व युवा भटक जाते हैं।

शादाब दोस्त है मेरा

शादाब के पिता रफीक बताते हैं कि शादाब सफल हुआ तो उन्हें सारे जहां कि खुशियां मिल गई।वह बताते हैं कि ईश्वर की कृपा से घर परिवार में किसी तरह की कोई कमी नहीं है। उपरवाले का दिया हुआ सब कुछ है। मेहनत शादाब ने की, इसी का नतीजा है। रफीक बताते हैं कि उन्होंने बेटे को कभी किसी बात के लिए टोंका नहीं। वह दोस्त मानकर चलते हैं।