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यहां अंतिम सफर की राह में कई फीट पानी, जान का जोखिम

इस गांव में बारिश के दौरान किसी का निधन हो जाए तो उसका अंतिम संस्कार करना तक ग्रामीणों के लिए चुनौती बन जाता है।

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kota

अरण्डखेड़ा क्षेत्र के परलिया की झोपडिय़ां में गहरे पानी में निकलकर अर्थी को श्मशान ले जाते ग्रामीण।

कोटा.

ग्रामीण विकास और पंचायत राज के दावे आप रोज सुनते पढ़ते हैं। सत्ता में आने वाले नेताओं के भाषणों में इसी पर खम ठोंका जाता है लेकिन जमीनी हकीकत की त्रासदी तक शायद ये लोग पहुंच भी नहीं पाते। ना ही वैसी संवेदना, पीड़ा इनके अंत: स्थल को झकझोरती है। तभी तो गाहे बगाहे कोटा जिले के अरण्डखेड़ा कस्बे के समीप स्थित परलिया की झौंपडिय़ां गांव जैसी कहानियां सामने आती रहती हैं।
इस गांव में बारिश के दौरान किसी का निधन हो जाए तो उसका अंतिम संस्कार करना तक ग्रामीणों के लिए चुनौती बन जाता है। ऐसी चुनौति कि अंतिम सफर पर स्वजन को ले जाने वाले ग्रामीणों की खुद की जान तक पर आ बने।
रविवार को इस गांव के निवासी मथुरालाल लश्करी की आकस्मिक मौत हो गई। उसके अंतिम संस्कार के लिए मुक्तिधाम तक जाने के लिए लोगों को दो घंटे मशक्कत करनी पड़ी। ग्रामीण और परिजन ढाई-तीन फ ीट पानी में अर्थी को लेकर उतरे। पानी में उतरना इनकी मजबूरी थी। मुक्तिधाम पहुंचने के लिए यह इनकी कड़ी परीक्षा थी। परालिया की झोंंपडियां निवासी रणजीत लश्करी ने बताया कि शनिवार रात हुई बारिश से खेतों व रास्ते में पानी भर गया था। यह पानी रविवार को भरा होने के कारण शव के अंतिम संस्कार के लिए ले जाने में गांव से मुक्तिधाम की आधा किलोमीटर की दूरी तय करने में दो घंटे का समय लगा।
हर साल बारिश में यह समस्या आती है। इस बारे में क्षेत्रीय विधायक कल्पना देवी, पंचायत प्रशासन को अवगत कराया जा चुका है लेकिन मुक्तिधाम तक सीसी सड़क नहीं बन सकी है। ऐसे में ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई बार तो मार्ग पर लोगों को तीन फीट से भी ज्यादा भरे पानी से होकर मुक्तिधाम तक पहुंचना पड़ता है।

पंचायत बोली: सीसी सड़क का कराएंगे निर्माण
मामले में पत्रिकाडॉटकॉम ने ग्राम पंचायत अरण्डखेड़ा के नुमाइंदे ग्राम विकास अधिकारी विश्वविभूति शर्मा से बात की तो उनका कहना था कि ऐसे हालात ज्यादा बारिश में बनते हैं। पंचायत की बैठक में जल्द ही गांव से मुक्तिधाम तक सीसी सड़क निर्माण के लिए प्रसताव लेकर बारिश बाद काम शुरू करा देंगे।