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मेयर बोली, हमारा कार्यकर्ता है, झूले लगाने दो, ऑडियो हो गया वायरल

मेला समिति: हमारा कार्यकर्ता है, उसको जगह आवंटित करनी पड़ेगी मेला प्रशासन: नियमों से परे जाकर आवंटन नहीं किया जा सकता है

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मेयर बोली, हमारा कार्यकर्ता है, झूले लगाने दो, ऑडियो हो गया वायरल

मेयर बोली, हमारा कार्यकर्ता है, झूले लगाने दो, ऑडियो हो गया वायरल

कोटा. मेला समिति की रुचि दशहरा मेले को भव्य रूप देने में कम और दुकानों के लिए जगह आवंटित करने पर ज्यादा है। जगह आवंटन में खेल चल रहा है। हैरानी की बात यह है कि मेला समिति और अधिकारियों की नाक के नीचे जगह आवंटित होने से पहले ही दुकानदार सामान डाल रहे हैं। झूला जोन में नीलामी से पहले ही एक झूला संचालक ने तीन भूखण्डों पर झूले का सामान डाल दिए। इसे लेकर अब विवाद खड़ा हो गया है। सोमवार को निगम आयुक्त तक शिकायत पहुंचने के बाद अधिकारियों की टीम ने झूला जोन की वीडियोग्राफी करवाई तो मेला समिति की शह पर चल रहे मिलीभगत का खेल सामने आ गया। इसके बाद निगम प्रशासन ने तीन भूखण्डों की नीलामी रोक दी। नीलामी से पहले ही लाखों रुपए की जमीन पर एक झूला संचालक ने सामान डाल दिया। इसके बाद अधिकारियों ने सोमवार को इस जोन की नीलामी को आनन-फानन में रोक दिया। इससे मेला समिति के पदाधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। मेला समिति के खिलाफ भाजपा के बाद अब कांग्रेस पार्षदों ने भी मोर्चा खोल दिया है। मेयर का एक अधिकारी को झूले की जगह आवंटित करने के लिए दबाव बनाने का ऑडियो वायरल हो गया है। मेयर पीए बार-बार झूले के लिए फोन कर रहा है।

करवाई वीडियोग्राफी

आयुक्त वासुदेव मालावत ने शिकायत के बाद उपायुक्त अशोक त्यागी के नेतृत्व में झूरा जोन का सत्यापन करने तथा जांच के लिए टीम गठित की। टीम ने पाया कि भूखण्ड संख्या 10, 11 और 12 पर नीलामी से पहले ही झूले के सामान डाल रखे थे और लगाने का काम जोरों पर चल रहा था। टीम ने यहां काम करने वाले कर्मचारियों से झूले के बारे में पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि मोहम्मद इमरान नाम का व्यक्ति झूला लगवा रहा है। टीम ने यहां की वीडियोग्राफी करवाई और जांच रिपोर्ट शाम को आयुक्त को भेज दी।

सामान हटाने के बाद ही नीलामी होगी

निगम की टीम ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा कि जब तक संबंधित भूखण्डों से झूले के सामान नहीं हटाए जाते हैं, तब तक आवंटन नहीं किया जा सकता। कमेटी की रिपोर्ट के बाद मेला समिति ने झूले के लिए जगह आवंटित करवाने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया। मेला समिति ने एक अधिकारी को फोन कर रहा है कि हमारा कार्यकर्ता है, उसको जगह आवंटित करनी ही पड़ेगी। टीम ने स्पष्ट मना कर दिया कि नियमों से परे जाकर आवंटन नहीं किया जा सकता है।
झूले के लिए दो जोन

मेले में झूले के लिए ईस्ट और वेस्ट जोन बनाया गया है। वेस्ट जोन में कोर्नर की 89 रुपए प्रति वर्गफीट तथा सामान्य भूखण्ड की आरक्षित दर 73 रुपए प्रति वर्गफीट रखी गई थी। नीलामी में इस जोन में करीब 6.50 लाख रुपए में जगह की नीलामी हुई है, जबकि वेस्ट जोन में 58 रुपए प्रति वर्गफीट कॉर्नर तथा 50 रुपए प्रति वर्गफीट की सामान्य भूखण्ड की दर रखी थी। इसकी नीलामी तीन से पांच लाख रुपए होने का अनुमान था, लेकिन यहां एक झूले वाले को उपकृत करने के लिए एक लाख से भी कम में जगह देने की तैयारी चल रही थी। इसकी लिखित शिकायत उत्तर नगर निगम के आयुक्त को की गई।

मेले में मनमाने तरीके से दुकानों का आवंटन किया जा रहा है। नीलामी से पहले ही झूले किसकी शह पर लग गए हैं, इसकी जांच होनी चाहिए। जो भी जिम्मेदार है, उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। नीलामी से पहले जिसने झूले के सामान डाले हैं, उसका चरित्र सत्यापन होना चाहिए। विवेक राजवंशी, वरिष्ठ पार्षद

मेले में दुकानों का आवंटन पादर्शिता से किया जा रहा है। दो दिन से आवंटन की वीडियोग्राफी भी करवा रहे हैं। भाजपा पार्षद ने झूले की जगह को लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी, लेकिन उसमें कोई दम नहीं है। पार्षदों को आरोप लगाने के बजाए मेले के भव्य आयोजन में सहयोग करना चाहिए।. अनिल सुवालका, सदस्य, मेलासमिति