
कोटा .भीषण गर्मी में खेत खलिहानों में हरा चारा सूख गया है। मवेशियों को हरा चारा नसीब नहीं हो रहा। ऐसे में दूधारु मवेशियों को पर्याप्त मात्रा में हरा चारा व पोषक आहार नहीं मिल पा रहा। गर्मी के दिनों में मवेशियों को सिर्फ भूसा ही मिल पा रहा है। इसके चलते मवेशियों की दूध उत्पादन क्षमता घट गई है। ऐसे में दूध की धार भी पतली हो रही है।
पांच माह में कोटा डेयरी में दूध की आवक भी 45 फीसदी तक घट गई है। डेयरी प्रबंधन द्वारा जून व जुलाई माह में दूध की आवक और भी घटने की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में कोटा डेयरी को पड़ौसी डेयरी प्लांटों से दूध मंगवाने की नौबत आ सकती है।
कोटा डेयरी में जुलाई माह में प्रति दिन 1.35 लाख लीटर दूध की आवक हो रही थी। जो वर्तमान में घटकर 95 हजार लीटर रह गई है। वहीं डेयरी प्लांट से प्रति दिन 80 हजार लीटर दूध व 11 हजार लीटर अन्य शीतल पेय पदार्थ तैयार कर डेयरी बूथ व पार्लर पर सप्लाई किए जा रहे है। ऐसे में वर्तमान में जितने दूध की आवक हो रही है, उसके उत्पाद तैयार कर बेचे जा रहे हैं। जून जुलाई माह में दूध की आवक 20 हजार लीटर और भी घटने की आशंका है।
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शीतल पेय पदार्थों की बढ़ी खपत
कोटा डेयरी में तैयार होने वाले शीतल पेय पदार्थों के प्रति शहरवासियों को रुझान साल दर साल बढ़ता जा रहा है। तीन साल पहले तक कोटा डेयरी में गर्मी के दिनों में मात्र 7 हजार लीटर दूध से सादा छाछ, लस्सी, नमकीन लस्सी, दही, श्रीखंड आदि तैयार किए जाते थे। लेकिन तीन साल में इन शीतल उत्पादों की खपत 11 हजार लीटर से अधिक हो गई है। वर्तमान में कोटा डेयरी से रोजाना 4 हजार लीटर सादा छाछ, 3 हजार लीटर लस्सी, 4 हजार लीटर नमकीन छाछ, 200 किलो श्रीखंड, 800 किलो दही की खपत हो रही है।
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गर्मी में दूध की आवक घटने से 95 हजार लीटर दूध आ रहा है। इतने ही दूध व दूध निर्मित पदार्थों की सप्लाई है। आगामी माह में दूध की आवक और घटने की आशंका है। ऐसे में भीड़वाड़ा, अजमेर डेयरी से दूध मंगवाने की व्यवस्था करेंगे।
- श्याम बाबू वर्मा, प्रबंध निदेशक, कोटा डेयरी
Published on:
11 May 2018 06:04 pm
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