22 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

जंगलों को बचाएगी जंगलों को उजाड़ कर बनी खदानें, बचेगी लाखों पेड़ों की बलि!

Kota News: पम्पड स्टोरेज प्लांट तेजी से बढ़ती ऊर्जा जरूरतों के हिसाब से कम कीमत पर न्यूनतम रखरखाव वाला ऊर्जा भंडारण का ठोस तरीका है। यह कोयला आधारित बिजलीघरों की जरूरत भी खत्म कर सकते हैं।

3 min read
Google source verification

कोटा

image

Alfiya Khan

Oct 22, 2024

Solar Energy

आशीष जोशी
कोटा। बारां जिले के शाहाबाद में 1800 मेगावाट के पम्पड स्टोरेज पावर प्लांट के लिए 1.19 लाख पेड़ों की कटाई रोकी जा सकती है। खदानों में हुए गहरे गड्ढे (माइनिंग पिट) इसका बेहतर विकल्प हो सकते हैं। राज्य के खनन वाले इलाकों में खाली पड़े माइनिंग पिट की गहराई 40 से 60 मीटर तक है। जहां दो अलग ऊंचाई पर पानी के स्टोरेज की व्यवस्था और टनल बनाई जा सकती है।

साथ ही, इन इलाकों में माइनिंग वेस्ट से बने पहाड़ों पर बिना हरियाली को नुकसान पहुंचाए सोलर पार्क विकसित किए जा सकते हैं। राज्य में दर्जनों ऐसे बड़े माइनिंग पिट महीनों तक बरसाती पानी से भरे रहते हैं। उनमें अतिरिक्त पानी की व्यवस्था पास के किसी जलस्रोत से पंप कर भी की जा सकती है। इससे लाखों पेड़ों के साथ जंगल के वन्यजीव और जैव विविधता को बचाया जा सकेगा।

पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रही स्वयंसेवी संस्था ‘हमलोग’ के संयोजक डॉ. सुधीर गुप्ता ने ऊर्जा मंत्री और ऊर्जा सचिव को पत्र लिख लाखों पेड़ों की कटाई रोकने का विकल्प सुझाया है। बारां के शाहबाद के अलावा चित्तौड़गढ़ जिले के रावतभाटा क्षेत्र में भी ऐसा ही 2500 मेगावाट क्षमता वाला एक और बिजलीघर बनाने की तैयारी है। पर्यावरण प्रेमी इन परियोजनाओं को लेकर जंगलों के संरक्षण पर सवाल उठा रहे हैं।

यह भी पढ़ें: एसओजी ने 11 अभ्यर्थी सहित 17 को किया गिरफ्तार, अब खुलेंगे कई बड़े राज

माइनिंग पिट में भरेगा पानी, डंपिंग पहाड़ पर बनेगी सोलर एनर्जी

पम्प स्टोरेज प्लांट एक प्रकार का हाइड्रोइलेक्ट्रिक ऊर्जा भंडारण है। यह अलग-अलग ऊंचाई पर दो जल भंडारों का विन्यास है। माइनिंग क्षेत्र में अलग-अलग ऊंचाई पर बने गहरे गड्ढों में ये जल भंडार बनाए जा सकते हैं। यह विन्यास एक टनल से गुजरते हुए एक से दूसरे में पानी के नीचे जाने (डिस्चार्ज) के दौरान बिजली पैदा करेंगे। इस पूरे सिस्टम को बिजली की भी आवश्यकता होती है। क्योंकि यह पानी को वापस ऊपरी जलाशय (रिजर्वायर) में पंप करता है। इसके लिए खनन क्षेत्र में माइनिंग वेस्ट से बने पहाड़ों पर सोलर पार्क विकसित किए जा सकते हैं।

पत्रिका की खबरों पर संज्ञान लेकर हाईकोर्ट ने यह कहा था...

राजस्थान हाईकोर्ट ने पंप स्टोरेज के लिए 1.19 लाख पेड़ों की अगले पंद्रह दिनों तक कटाई नहीं करने के केंद्र और राज्य के आश्वासन को रिकॉर्ड पर लेते हुए निर्देश दिए थे कि यह आगामी आदेश तक प्रभावी रहेगा। न्यायाधीश डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी और न्यायाधीश मुन्नुरी लक्ष्मण की खंडपीठ ने राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित समाचारों पर स्व प्रेरणा से संज्ञान लेते हुए केंद्र और राज्य सरकार को विस्तृत जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए थे। जिसमें यह सुझाव मांगा गया कि 1.19 लाख पेड़ों को कैसे बचाया जा सकता है और क्या कोई वैकल्पिक भूमि उपलब्ध है, जहां यह परियोजना शुरू की जा सकती है।

कोयला आधारित बिजलीघरों की जरूरत खत्म करेंगे पम्पड स्टोरेज प्लांट

सौर ऊर्जा का उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन चुनौती यह है कि सूर्यास्त के बाद इसका उत्पादन नहीं हो पाता। दूसरा, पवन ऊर्जा का उत्पादन भी कुछ महीनों में ही हो पाता है। ऐसे में पम्पड स्टोरेज प्लांट तेजी से बढ़ती ऊर्जा जरूरतों के हिसाब से कम कीमत पर न्यूनतम रखरखाव वाला ऊर्जा भंडारण का ठोस तरीका है। यह कोयला आधारित बिजलीघरों की जरूरत भी खत्म कर सकते हैं।

एक्सपर्ट व्यू : जंगलों को बचाएगी जंगलों को उजाड़ कर बनी खदानें

जलवायु परिवर्तन से बढ़ती मौसम की चरम घटनाओं के बाद इन दिनों हर कोई पेड़ और जंगलों की सलामती की लिए गंभीर है। दुर्भाग्य है कि जहां भी इन पम्पड स्टोरेज प्लांटों की स्थापना की जानी है, वहां घने जंगल हैं। इन संयंत्रों की स्थापना के लिए सैकड़ों हेक्टेयर जमीन की जरूरत होती है।

जिससे लाखों पेड़ों ओर जैव विविधता का नुकसान होता है। ऐसे में माइनिंग पिट पम्पड स्टोरेज प्लांट और माइनिंग वेस्ट के पहाड़ सोलर परियोजनाओं के लिए बेहतर स्थान हो सकते हैं। क्योंकि संयंत्र को रिन्युएबल एनर्जी से चलाने के लिए सोलर पार्क विकसित करने को भी सैकड़ों हेक्टेयर जमीन की अतिरिक्त जरूरत होती है। जो जंगल के लाखों पेड़ काटकर व वन्यजीवों को बेघर करके ही जुटाई जाती है।
- डॉ. सुधीर गुप्ता, संयोजक, ‘हम लोग’

यह भी पढ़ें: अब रात में नहीं होगी पानी की सप्लाई, ये है नया शेड्यूल; करें चेक