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कोटा. शिक्षा नगरी में डेंगू का डंक कम होने का नाम नहीं ले रहा। मच्छरों ने अब तक सबसे ज्यादा युवाओं को शिकार बनाया है। खास बात यह है कि सर्दी के बावजूद डेंगू का वायरस सक्रिय है। चिकित्सा विभाग के अनुसार इस वर्ष जनवरी से अब तक कोटा में डेंगू के 550 पॉजीटिव रोगी सामने आ चुके हैं। प्रतिदिन 20 पॉजीटिव मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं।
- यह कहते आंकड़े
राजस्थान पत्रिका ने चिकित्सा विभाग द्वारा जारी सितम्बर माह की रिपोर्ट को स्कैन किया तो यह चौकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं।
आयुवर्ग पुरुष महिला
0-5 3 0
6-19 14 7
20-39 27 14
40-59 12 3
60 प्लस 7 5
- वृद्धों में पुरुष ज्यादा
इस बार पिछले वर्ष के मुकाबले में पुरूष वृद्ध डेंगू से पीडि़त मिले हैं। जबकि पिछली बार महिलाओं की संख्या अधिक थी। सितम्बर माह में 60 से अधिक उम्र के पुरुष 7 व महिला 5 आई है। वहीं, पांच साल तक के बच्चों में 3 पॉजीटिव आए है।
चिकित्सा विभाग के अभियान
4 बार जिले में बड़े स्तर पर अभियान चलाया।
- 1 बार में 2 लाख 40 हजार घरों का सर्वे किया।
- 4 बार सिर्फ भीमगंजमंडी इलाके में सर्वे।
- 1 बार कुन्हाड़ी व बोरखेड़ा में 60 हजार घरों का सर्वे
- हाड़ौती की अक्टूबर तक की रिपोर्ट
हाड़ौती में इस वर्ष जनवरी से अक्टूबर तक 13301 मरीजों ने डेंगू की जांच करवाई, जिसमें 595 मरीज पॉजीटिव मिले। जबकि इनमें से कोटा के 400 पॉजीटिव मरीज शामिल है।
भीमगंजमंडी में सबसे ज्यादा प्रभावित
चिकित्सा विभाग के सबसे संवेदनशील इलाके में इस बार भीमगंजमंडी क्षेत्र रहा। यहां सबसे ज्यादा पॉजीटिव केस सामने आए। जबकि पिछली बार तलवंडी व राजीव गांधी नगर प्रभावित था। इसके अलावा बोरखेड़ा, गोविंद नगर से मरीज आए हैं।
इसलिए बढ़ रहे डेंगू के मरीज
शहर में डेंगू के मरीज मलेरिया से ज्यादा हो गए हैं। एडीज मच्छरों को टाइगर मॉस्किटों भी कहते है। कीट वैज्ञानिकों की माने तो एडीज मच्छर की प्रकृति अलग होने से यह ज्यादा लोगों को संक्रमित करने की क्षमता रखता है। यह सबसे ज्यादा दिन में लोगों को निशाना बनाता है। जबकि, मलेरिया फैलाने वाला मच्छर एनाफीलीज रात को काटता है।
इसलिए कहते हैं टाइगर मॉस्किटो
काले रंग के छोटे डेंगू मच्छर के शरीर पर सफेद रंग की धारिया होती है। इसलिए इसे टाइगर मॉस्किटो कहा जाता है।
40 दिन की जिंदगी में जानलेवा
एडीज मच्छर का जीवनचक्र 40 दिन का होता है। खून चूसने के बाद साफ पानी में अण्डे देते हैं। 10 दिन में लार्वा व प्यूपा बनते हैं। व्यस्क मच्छर बनने के बाद 30 दिन का जीवन होता है।
इनका यह कहना
चिकित्सा विभाग पूरी तरह से सक्रिय है। हालांकि डेंगू का वायरस अपना रूप बदल रहा है। इसके चलते मरीज लगातार सामने आ रहे हैं, लेकिन पिछले माह की अपेक्षा इस माह मरीजों की संख्या कम है।
- डॉ. आरके लवानिया, सीएमएचओ
Published on:
15 Nov 2018 04:53 pm
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