
फूट-फूटकर रोती हुई मां (फोटो: पत्रिका)
TV Actor Veer Sharma Last Rites: कोटा के अनंतपुरा थाना क्षेत्र स्थित एक मल्टीस्टोरी अपार्टमेंट में घटी हृदयविदारक घटना ने पूरे कोटा शहर को गहरे शोक में डुबो दिया। पोस्टमार्टम के बाद रविवार को जैसे ही दोनों भाइयों शौर्य और वीर के शव घर पहुंचे तो वहां मातम पसर गया। मां रीता शर्मा के विलाप और पिता जितेंद्र शर्मा के टूटे हुए शब्दों ने हर आंख को नम कर दिया।
मां रीता बच्चों के पार्थिव शरीर के पास बैठ गई और कांपती हुई आवाज में बोली ‘यहां क्यों लेटा हुआ है, उठ खड़ा हो।’ बेटे की देह देख उनका धैर्य टूट गया। वह बार-बार उसे उठाने की कोशिश करती और कहती कि ‘तू उठ क्यों नहीं रहा है?’ यह दृश्य इतना मार्मिक था कि वहां मौजूद हर शख्स की आंखें भर आई। परिजन किसी तरह मां को बच्चों के पास से हटाकर संभालने की कोशिश करते रहे, लेकिन मां का करुण क्रंदन सुन हर किसी का कलेजा मुंह को आ गया।
इसके बाद जब मोक्ष रथ से दोनों बेटों की अर्थियां एक साथ निकलीं तो पूरे अपार्टमेंट परिसर में मातम छा गया। हर ओर सन्नाटा, रुदन की आवाजें सुनाई दे रही थीं। परिवार के करीबी, रिश्तेदार और मोहल्ले के लोग नम आंखों से अंतिम विदाई देने पहुंचे।
मां रीता अंतिम यात्रा में मोक्ष रथ के साथ किशोरपुरा मुक्तिधाम तक गई। वहां, अंतिम संस्कार से पहले जब बड़ा बेटा शौर्य चश्मा लगाए बिना नजर आया तो मां का दिल फिर टूट गया। उन्होंने कांपती आवाज में कहा ‘तू तो कभी बिना चश्मे के नहीं रहता था, आज कैसे बिना चश्मे के है?’ परिजनों ने शौर्य की आंखों पर चश्मा पहनाया तो मां फूट-फूटकर रो पड़ी। इस दृश्य ने मुक्तिधाम में मौजूद हर व्यक्ति को शोक में डाल दिया।
पिता जितेंद्र शर्मा का दर्द भी किसी से कम नहीं था। वे बार-बार नम आंखों से मीडिया से कहते रहे ‘आज तक मेरे बेटे इंटरव्यू देते थे, लेकिन आज मुझे उनकी मौत का इंटरव्यू देना पड़ रहा है।’ यह सुनकर वहां मौजूद हर दिल पिघल गया।
कल तक जिन बच्चों की आवाज से घर चहकता था, जिनके ख्वाबों से भविष्य के सपने बुने जा रहे थे, वे आज अर्थियों पर खामोश हैं। मां की चीखें और पिता के टूटते शब्द इस दुःख के गवाह बन गए।
यह हादसा केवल एक परिवार का नहीं, बल्कि पूरे शहर का शोक बन गई है। हर व्यक्ति इस घटना से व्यथित है। दो मासूम जिंदगियों के यूं अचानक चले जाने से जो खालीपन पैदा हुआ है, वह शायद कभी भरा नहीं जा सकेगा।
मल्टीस्टोरी के बाशिंदे समाजसेवी राकेश गुप्ता ने बताया कि रात करीब 2 बजे उन्हें कॉल आया कि एक फ्लैट से लगातार धुआं निकल रहा है। इस पर वह तुरंत मौके पर पहुंचे तो देखा कि धुआं तेजी से फैल रहा है। लोगों ने मिलकर गेट तोड़ा और अंदर से बच्चों को निकाला। गुप्ता ने बताया कि हालात बेहद भयावह थे।
ड्राइंग रूम में आग भड़क चुकी थी और फर्नीचर जल रहा था। उन्होंने बताया कि मौके पर लगे फायर उपकरण का इस्तेमाल कर आग को बुझाया गया और काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। रात के सन्नाटे में हुई इस घटना ने पूरे मल्टी को दहशत में डाल दिया। धुआं इतना गहरा था कि बच्चों की जान नहीं बचा पाए।
एक रंगहीन, गंधहीन और अत्यंत जहरीली गैस, जिसे अक्सर ‘खामोश हत्यारा’ कहा जाता हैकोटा. कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस एक रंगहीन, गंधहीन और अत्यंत जहरीली गैस है। इसे अक्सर ‘खामोश हत्यारा’ कहा जाता है। यह गैस इंसान के शरीर में आसानी से प्रवेश कर गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती है। कार्बन मोनो ऑक्साइड शरीर में मुख्य रूप से सांस के माध्यम से प्रवेश करती है।
जब कोई व्यक्ति बंद कमरे में, कम वेंटिलेशन वाले स्थान पर या एसी के जरिए इस गैस के संपर्क में आता है तो यह फेफड़ों से रक्त में घुल जाती है। गैस का सबसे खतरनाक प्रभाव इसकी हीमोग्लोबिन के साथ जुड़ने की क्षमता है। आम तौर पर हीमोग्लोबिन शरीर में ऑक्सीजन को पहुंचाता है, लेकिन कार्बन मोनो ऑक्साइड के साथ जुड़ने पर रक्त में ऑक्सीजन का प्रवाह बाधित हो जाता है। इसका प्रभाव धीरे-धीरे शुरू होता है। शुरुआती लक्षणों में सिरदर्द, चक्कर आना, थकान और उल्टी शामिल है। यदि लंबे समय तक उच्च मात्रा में कार्बन मोनो ऑक्साइड शरीर में रहे तो इससे बेहोशी, दिल और दिमाग की गंभीर क्षति और अंततः मौत भी हो सकती है। छोटे बच्चों, गर्भवती और वृद्धों के लिए यह गैस खतरनाक होती है।
एसी या हीटर जैसे उपकरण से शरीर में फैल जाती हैएसी या हीटर जैसे उपकरण यदि ठीक से वेंटिलेशन के साथ नहीं चल रहे तो कार्बन मोनो ऑक्साइड कमरे में फैल सकती है और धीरे-धीरे व्यक्ति के शरीर में पहुंच सकती है। यह गैस न केवल फेफड़ों को प्रभावित करती है, बल्कि हृदय और तंत्रिका तंत्र पर भी गंभीर असर डालती है। ऐसे में घरों और कार्यस्थलों पर सेंसर या अलार्म लगाएं और फर्नेस, गैस कनेक्शन या हीटर का नियमित निरीक्षण करें। खुले स्थान पर समय बिताना और कमरे में पर्याप्त हवा का प्रवाह बनाए रखना भी कार्बन मोनो ऑक्साइड के जोखिम को कम करता है।
खामोशी से शरीर में प्रवेश करती हैकार्बन मोनो ऑक्साइड गैस शरीर में प्रवेश करती है और ऑक्सीजन की कमी के कारण जीवन के लिए गंभीर खतरा बन जाती है। यदि इसमें कोई व्यक्ति सोता हुआ रहता है तो वह सोता ही रह जाता है, क्योंकि उसके शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इस घटना में भी प्राथमिक जांच में यही आया है कि बच्चों की मौत कार्बन मोनो ऑक्साइड से हुई, लेकिन हमारी टीम इसकी जांच लैब में करने के बाद ही बता पाएगी कि वहां पर और कौनसी गैस फैलने से मौत हुई है।
- डॉ. राखी खन्ना, अतिरिक्त निदेशक, क्षेत्रीय विधी विज्ञान प्रयोगशाला, कोटा
Updated on:
29 Sept 2025 09:26 am
Published on:
29 Sept 2025 09:15 am
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