बैठक में अतिक्रमण, वन क्षेत्र की क्षतिग्रस्त दीवार, वन विभाग की अनदेखी, स्वयंसेवी संस्थाओं व ग्रामीणों से तालमेल व विस्थापित किए जाने वाले ग्रामीणों को बेहतर पैकेज देने पर चर्चा हुई। ग्रामीणों को खुश रखते हुए करें विस्थापन
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ये आए सुझाव– डोल्या सरपंच नंदलाल मेघवाल ने ग्रामीणों की सुविधाओं को ध्यान में रखने की बात कही। – संस्था के प्रतिनिधि कृष्णेन्द्र सिंह नामा ने ग्रामीणों से तालमेल बिठाने को कहा।
– पर्यावरण प्रेमी तपेश्वरसिंह भाटी ने वन भूमि पर अतिक्रमण, विभाग की अनदेखी व अन्य बिन्दुओं को उठाया। उन्होंने कहा कि वन विभाग स्वयंसेवी संस्था के प्रतिनिधियों को भी साथ लेकर चले।
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ट्रेक के दोनों ओर बनेगी 8 फीट ऊंची दीवारवन क्षेत्र से गोबर बीनकर ले जाने की बात पर रेड्डी ने कहा कि ग्रामीण गोबर ले जाते हैं तो कोई बात नहीं, लेकिन इसका व्यावसायिक उपयोग नहीं करें। कोई वाहन में भरकर ले जाता है तो उसके खिलाफ विभाग कार्रवाई करे। रोड व रेलवे टे्रक से बाघ की सुरक्षा को लेकर एलीवेटेट रोड व ओवरब्रिज को लेकर उन्होंने कहा कि ये लम्बे प्रोसेस हैं। इनमें खर्च भी 80 से 100 करोड़ का आएगा। बाघ हमें जल्द लाने हैं, एेसे में फिलहाल ट्रेक के दोनों और क्रॉसिंग पाइंट पर 8-8 फीट ऊंची दीवार बनाई जाएगी, एंगल लगवाए जाएंगे, ताकि ब्रोकन टेल जैसे हादसे न हों।