scriptशहर का पहला पॉलीथिन मुक्त मंदिर बना ‘नीलकंठ महादेव’ | Neelkanth Mahadev City's first polythene-free temple | Patrika News

शहर का पहला पॉलीथिन मुक्त मंदिर बना ‘नीलकंठ महादेव’

locationकोटाPublished: Nov 06, 2019 11:52:06 am

Submitted by:

Suraksha Rajora

राजस्थान पत्रिका की मुहिम रंग लाई,सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं किया जाएगा

शहर का पहला पॉलीथिन मुक्त मंदिर बना 'नीलकंठ महादेव'

शहर का पहला पॉलीथिन मुक्त मंदिर बना ‘नीलकंठ महादेव’

कोटा . रेतवाली स्थित प्राचीन नीलकंठ महादेव मंदिर शहर का पहला पॉलीथिन मुक्त मंदिर बन गया है। मंदिर में अब किसी भी तरह के सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं किया जाएगा। राजस्थान पत्रिका की ओर से चलाई जा रही मुहिम व स्वच्छ भारत अभियान से प्रेरित होकर मंदिर प्रबंधन ने यह फैसला लिया है।
पुजारी शिव शर्मा ने बताया कि आज पर्यावरण में फैल रहा प्रदूषण हम सबके लिए जानलेवा हो रहा है। लगातार अनदेखी के चलते महानगरों की सांसों मेंं जहर घुल रहा है। सिंगल यूज प्लास्टिक एक बहुत बड़ी समस्या है। अब यह जरूरी हो गया है कि हम कुछ करें। अब मंदिर में पॉलीथिन प्रतिबंधित रहेगी, वहीं मंदिर परिसर में होने वाले कार्यक्रमों में भी हम इसके लिए लोगों को प्रेरित करेंगे।

मंदिर में इसलिए जरूरी
मंदिर में आमतौर पर लोग प्रसाद व फूल-मालाएं चढ़ाते हैं। हर दिन यहां 500 से 600 श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं। इससे यहां पॉलीथिन की थैलियों का ढेर लग जाता है। प्रसाद की थैलियां तो फिर भी लोग अपने साथ ले जाते हैं, लेकिन फूल-मालाओं की थैलियों को यहीं छोड़ जाते हैं।
यह नालियों में फंस जाती हैं। हर बार निगम का सहयोग लेकर नाले की सफाई करवानी पड़ी है। इससे भी बड़ी बात यह है कि इन्हें गाय व अन्य मवेशी खा जाते हैं, जो उनके लिए खतरनाक हो जाता है। कइ बार इससे इससे पशुधन की मौत होने की भी आशंका रहती है।

उपहार में टोकरियां
शिव शर्मा ने बताया कि मंदिर में पत्रिका की पहल पर बैनर लगवा दिया है। श्रद्धालुओं से अभियान में सहयोग की अपील कर रहे हैं। इसके अलावा मंदिर के बाहर फूल-माला व प्रसाद विक्रेताओं को पॉलीथिन के नुकसान बताकर उपहारस्वरूप टोकरियां दी है। इसके लिए मंदिर प्रबंध समिति की ओर से 100 टोकरियां खरीदी गई है। मंदिर के आसपास चार फूल-माला विक्रेता हैं। लोग भगवान को चढ़ाने के लिए दूध भी थैलियों में लाते हैं, इसे देखते हुए श्रद्धालुओं को पात्र में दूध लाने व दूध विक्रेताओं से भी थैली मे दूध नहीं देने के लिए कहा है।

अन्य देवालयों को भी यह पहल करनी चाहिए।


प्राचीन है मंदिर
पुराने शहर के रेतवाली इलाके में स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर प्राचीन है। यहां स्वयंभू शिवलिंग है। यह शहर के प्रमुख शिवालयों में शुमार है। दर्शन करने के लिए दूर-दराज से श्रद्धालु आते हैं। हर दिन 500 से 600 श्रद्धालु दर्शन को आते हैं। सोमवार, महाशिवरात्रि, श्रावण मास में यहां विशेष रौनक रहती है।

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