
सूर्य मंदिर
झालरापाटन. प्राचीन स्थापत्य व मूर्र्ति कला के लिए देश-विदेश में खास पहचान बनाने वाले ऐतिहासिक सूर्य मंदिर की मूर्ति कला पर अब बदहाली दिखने लगी है। सरकार ने राज्य के कई मंदिरों के जीर्णोद्वार के लिए बजट आंवटित कर इनकी देखरेख करवाई है लेकिन मुख्यमंत्री क्षेत्र के इस दुर्लभ मंदिर पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिससे इस मंदिर की आभा कमजोर पडऩे लगी है।
Read More:कोटा की सफाई के लिए मिले थे 10 करोड़, नगर निगम ने बांट दी तनख्वाह
कागजी घोड़े दौड़े, नतीजा सिफर
राज्य सरकार ने कुछ वर्ष पूर्व इस मंदिर के आवश्यक रखरखाव व जीर्णोद्धार की कार्ययोजना बनाने के लिए अधिकारियों के दौरों के साथ ही कागजी घोड़े तो खूब दौड़ाए लेकिन आज तक नतीजा सामने नहीं आया। कस्बे के मध्य स्थित कई शताब्दियों पुराने इस मंदिर की ऐतिहासिक व प्राचीन मूर्ति व स्थापत्य कला को देखने के लिए हर वर्ष विदेशी सेलानियों की संख्या बढ़ रही है।
सौंदर्य व आभा कमजोर पड़ती जा रही
इसके साथ ही देश के कई राज्यों व दूर दूर तक से लोग यहां आते हैं जो घंटों तक खड़े रहकर इसकी स्थापत्य व मूर्ति कला को निहारकर जमकर फोटोग्राफी करके ले जाते हैं लेकिन देखरेख के अभाव व सरकारी स्तर पर उदासीनता से मूर्तिकला की सूरत से इसका सौंदर्य व आभा कमजोर पड़ती जा रही है। मंदिर के शिखर की मूर्ति कला पर जगह-जगह काई छा गई है इनके बीच में पीपल के पौधे उग आए है। मंदिर में स्थाई चौकीदार का प्रंबध नहीं होने से दोपहर 12 से शाम 5 बजे तक इसके प्रवेश द्वारा पर ताला लगा रहता है। जिससे बाहर से आने वाले कई श्रद्धालुओं को दर्शन किए बिना ही लौट जाते हैं।
नही हटे अतिक्रमण
जिला व नगरपालिका प्रशासन की चेतावनी के बावजूद सूर्य मंदिर के आसपास अतिक्रमण के हालात जैसे के तैसे हैं। प्रशासन के सूर्य मंदिर के तीनों ओर गेट लगाने की तीन बार हुई कार्रवाई का विरोध करने के बाद ऑटो रिक्शा संचालको ने सूर्य मंदिर के आस पास ऑटो रिक्शा खड़े नहीं करने का भरोसा दिलाया था। इसके बावजूद ऑटो, सब्जी के ठेले व मोहल्लेवासियों के वाहन आज भी यहां खड़े हो रहे है। जिससे मंदिर की परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी आ रही है।
Published on:
11 Oct 2017 05:38 pm
बड़ी खबरें
View Allकोटा
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
