
Police can not File FIR Directly of dowry harassment cases
दहेज प्रताडऩा से जुड़े मामले में अब राजस्थान पुलिसी सीधे कार्रवाई नहीं कर सकेगी। ऐसे मामलों की पहले फैमिली वेलफेयर कमेटी सुनवाई करेगी। जांच पूरी करने के बाद कमेटी को लगेगा कि पुलिस कार्रवाई की जानी है तभी एफआईआर दर्ज की जाएगी। कमेटी ऐसे मामलों में पहले दोनों पक्षों को समझाइश कर परिवार टूटने से बचाने का प्रयास करेगी। इसके बाद भी हल नहीं निकलने पर इन मामलों को दर्ज करने की कार्रवाई की जाएगी। राजस्थान लीगल अॅथोरिटी ने ऐसे मामलों में फैमिली वेलफेयर कमेटी के गठन के निर्देश दिए हैं। इसके बाद न्यायालयों में चल रहे दहेज प्रताडऩा से संबंधित मामले को भी इसी कमेटी को रैफर कर दिया जाएगा।
ज्यादातर मामलों में लगती है एफआर
महिला थाने के अधिकारियों की मानें तो हर माह में करीब 7-8 मामले दहेज प्रताडऩा के दर्ज होते हैं। झालावाड़ में पिछले आठ महीनों में ही करीब 56 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। कई बार परिजनों से जरा सी लड़ाई व कहासुनी के मामलों में भी दहेज प्रताडऩा का मामला दर्ज करा दिया जाता है। जिससे पूरा परिवार को जेल की हवा तक खानी पड़ती है। जबकि जांच के बाद अधिकांश मामलों में पुलिस को एफआर (अंतिम रिपोर्ट) लगती है।
सुनवाई के लिए नहीं लगाने पड़ेंगे चक्कर
कमेटी के गठन से दहेज प्रताडऩा एवं महिला अत्याचार से संबंधित मामलों में दूरदराज के क्षेत्रों में वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई होगी। इसके चलते जिले के सुदूरवर्ती कस्बों से आने वाले लोगों को राहत मिलेगी। वहीं लीगल वेलफेयर कमेटी का अध्यक्ष न्यायाधीश होने के चलते जो मामले पहले अदालत में जाने से सुलझते थे वो अब कमेटी के माध्यम से ही सुलझ जाएंगे।
जिला स्तर पर होगा कमेटी का गठन
सभी जिलों में फैमिली वेलफेयर कमेटी का गठन किया जाएगा। यह कमेटी थाना क्षेत्रों में दहेज प्रताडऩा व महिला अत्याचार से संबधित मामलों में सुनवाई करेगी। जिले में पांच थानों में एक कमेटी का गठन करने का प्रस्ताव है। प्रत्येक कमेटी में एक चेयरमैन व दो सदस्य होंगे। कमेटी के चेयरमैन न्यायाधीश होंगे। सदस्यों का चुनाव पैरालीगल वालंटियर एवं सामाजिक कार्यकर्ता सेवानिवृत्त नागरिक आदि में से किया जाएगा। कमेटी का कार्यकाल एक वर्ष का होगा।
अभी यह है प्रक्रिया
फिलहाल इस तरह का कोई मामला सामने आने के बाद पुलिस सीधे आईपीसी की धारा 498 और 406 के तहत मुकदमा दर्ज कर लेती थी। महिला को प्राथमिकी दर्ज कराने में किसी तरह के लीगल प्रूफ की जरूरत नहीं पड़ती थी। प्राथमिकी दर्ज होते ही पुलिस आरोपित परिजनों को गिरफ्तार कर जेल भेज देती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। झालावाड के पुलिस अधीक्षक आनंद शर्मा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नई व्यवस्था लागू की गई है। जिसकी गाइड लाइन आते ही पूरे राजस्थान में इसे लागू कर दिया जाएगा।
Updated on:
04 Sept 2017 11:08 am
Published on:
04 Sept 2017 10:49 am
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