
के. आर. मुण्डियार
कोटा.
दस दिन पहले कोटा संभाग (हाड़ौती) में बाढ़ के बाद प्रदेश की राजनीति गरमाई हुई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के घर से बाहर नहीं निकलने को लेकर भाजपा ने बयानों की बौछार कर रखी है। वहीं इस बार हाड़ौती में आई बाढ़ की तुलना पांच साल पहले 2016 की जोधपुर की बाढ़ से की जाए तो यह साफ हो जाता है कि बाढ़ हो या आपदा, राजनीति में केवल चेहरे बदलते हैं, राजनीति नहीं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह क्षेत्र जोधपुर में 2016 की बाढ़ एवं वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) के गृह क्षेत्र हाड़ौती में इस साल आई बाढ़ के हालात व राजनीति एक जैसी ही है। तब की सरकार में अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) विपक्ष में थे और अब वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) विपक्ष (2016 में मुख्यमंत्री) में हैं। तब और अब की बाढ़ में केवल चेहरे बदले हैं, लेकिन बयानबाजी वैसी ही है।
राजनीति की बाढ़ में नेता केवल एक-दूसरे के पुराने हिसाब का ध्यान रखते हैं। पीडि़त लोगों को जुमलों, वादों व आधी-अधूरी मुआवजा राशि से ही खुश करने के प्रयास किए जाते हैं। प्रदेश में बाढ़ फिर से कहर नहीं बरपाए। इसलिए बरसाती नालों, पानी निकासी व बहाव रास्तों में पनपे अतिक्रमण हटाए जाने चाहिए। लेकिन इस दिशा में बीते पांच साल में सरकार न तो जोधपुर में साहस दिखा पाई और न अब हाड़ौती में सुधार की कोई योजना है।
जोधपुर में अगस्त 2016 की बाढ़ में क्या हुआ-
-बरसात से बनी बाढ़ से जोधपुर की बीजेएस कॉलोनी, सुल्ताननगर, डर्बी कॉलोनी सहित कई बस्तियां पानी में डूब गई थी। सेना व आपदा दलों को रेस्क्यू ऑपरेशन चलाना पड़ा।
-तीन घंटे में 6 इंच बरसात ने जोधपुर की हालात बिगाड़ दी, तब 16 लोगों की जान चली गई। बाढ़ से भारी नुकसान हुआ था।
-अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) बाढग़्रस्त क्षेत्रों में पहुंच गए थे और बाढ़ पीडि़तों के लिए सरकार से विशेष पैकेज की मांग की थी।
-गहलोत ने तब यह बयान दिया था कि बाढ़ पीडि़तों का दर्द जानने के लिए मुख्यमंत्री को जोधपुर आना चाहिए। मुख्यमंत्री के डर के कारण मंत्री भी बाढ़ क्षेत्र का दौरा करने नहीं आ रहे हैं।
-गहलोत के आग्रह के बावजूद मुख्यमंत्री राजे बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का जायजा लेने जोधपुर नहीं आई थीं।
-तब सरकार ने कुछ दिन बाद तत्कालीन प्रभारी मंत्री व अफसरों की टीम भेजकर आपदा का आंकलन करवाया था।
कोटा संभाग में अगस्त 2021 की बाढ़ में क्या रहा-
-कोटा शहर की अनंतपुरा, प्रेम नगर, माला रोड सहित कई बस्तियां पानी में डूब गई। चम्बल की सहायक नदियों के उफान से कई गांव टापू बन गए। सेना व आपदा दलों को रेस्क्यू ऑपरेशन चलाना पड़ा। कोटा जिले में ही 508 गांव बाढ़ से घिर गए।
-करीब एक सप्ताह तक लगातार बरसात ने पूरे हाड़ौती की हालात खराब कर दी। 30 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। क्षेत्र में करोड़ों का नुकसान हो चुका है।
-वसुंधरा राजे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पहुंच गई, हवाई व ग्राउंड सर्वे किया। दौरे में बयान दिया कि मुख्यमंत्री जयपुर से बाहर निकले और जनता की सुध लें।
-राजे के बयान के बाद मुख्यमंत्री गहलोत ने पलटवार जरूर किया, लेकिन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में दौरे का अभी तक कार्यक्रम तय नहीं किया है।
-सरकार ने अपने मंत्री लालचंद कटारिया, प्रमोद जैन भाया आदि को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में भेजा। लेकिन यूडीएच मंत्री कोटा नहीं पहुंचे।
Published on:
14 Aug 2021 09:44 am
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