
prevention methods of Swine Flu
स्वाइन फ्लू की चपेट में आकर हुई मौत के बाद कोटा ही नहीं पूरे राजस्थान में हड़कंप मचा हुआ है। लोगों में पेनिक फैलने से रोकने के लिए सीनियर फिजीशियन डॉ. एसके गोयल ने राजस्थान पत्रिका को बीमारी के बारे में विस्तार से बताने के साथ ही बचाव के तरीके भी सुझाए। जिन्हें हम पाठकों के साथ साझा कर रहे हैं।
मैक्सिको में जन्मा था
स्वाइन फ्लू सबसे पहले 2009 में मैक्सिको में एक्टिव हुआ था। उसके बाद सिर्फ एक साल में पूरे देश में फैल गया। यह हर साल अलग-अलग रूप में बदलकर लोगों के जीवन को निशाना बना रहा है। यह अब तक 8 बार अपना रूप बदल चुका है। स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए सबसे पहला प्रयास भारतीय संस्कृति को अपनाते हुए 'हाथ मिलाने की जगह नमस्ते" को अपनाना होगा। सेन्ट्रल ऑफ डिजिट कंट्रोल ने डब्ल्यूएचओ के माध्यम से एचवनएनवन वायरस नाम दिया है। मैक्सिको में एक्टिव होने के कारण इसका नाम मैक्सीगन वायरस रख दिया गया।
जुलाई के अंत तक लगवा लें टीका
डॉ. एसके गोयल ने बताया कि स्वाइन फ्लू का वायरस हर साल मई-जून में यह वायरस एक्टिव होता है। जुलाई के अंत तक वैक्सीन (टीका) लगवा लेना चाहिए। स्वाइन फ्लू वायरस सबसे पहले गर्भवती महिला, 2 साल तक के बच्चों, बुजुर्गो, डायबिटीज, कैंसर, एड्स, दमा व अस्थमा रोगियों को निशाना बनाता है। सबसे पहले इनका वैक्सीनेशन जरूरी है।
खांसी-जुकाम बुखार है शुरुआती लक्षण
इस वायरस के प्रारंभिक लक्षण बुखार आना, जुकाम व खांसी आना। मनुष्य के शरीर में इस वायरस की दस्तक नाक, मुंह, आंख से होती है। मनुष्य हाथ मिलाने के बाद इन्हीं जगहों पर हाथ लेकर जाता है और इसके वायरस शरीर में पहुंचते है। अंटेडेंट व चिकित्सक को भी वैक्सीनेशन की जरूरत होती है। स्वाइन फ्लू पीडि़त से हमेशा एक मीटर का फासला होना चाहिए। पीडि़त व्यक्ति को पांच दिन तक घर से नहीं निकलना चाहिए। अंटेडेंट को 10 दिन तक दिन में एक बार दवाई लेनी चाहिए। यदि वैक्सीन नहीं लगाई है तो भी स्वाइन फ्लू से डरने की जरूरत नहीं है। बचाव के लिए हर घंटे में हाथ धोएं, बार-बार नाक पर हाथ नहीं लगाए, पानी खूब पीए, गुनगुने पानी से कुल्ला करें। इससे वायरस शरीर में नहीं पहुंचेगा।
Published on:
06 Sept 2017 12:29 pm
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