
Rajasthan government issued advisory for safety of children
स्कूलों में छात्रों के साथ शर्मनाक घटनाओं व बच्चों के ऑनलाइन गेम खेलने की वारदातों के बाद माध्यमिक शिक्षा विभाग ने सख्त रुख अख्तियार किया है। स्कूल प्रशासन एवं अभिभावकों की लापरवाही सामने आने के बाद प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा विभाग ने विद्यार्थियों की सुरक्षा संबंधी दिशा-निर्देश जारी करते हुए विद्यालय की जवाबदेही भी तय की है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने हाल ही में प्रदेश के सभी संस्थाप्रधानों, शिक्षकों व अभिभावकों के बच्चों की सुरक्षा संबंधी दायित्व तय करते हुए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
जिम्मेदारी की तय
झालावाड़ के जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक सुरेन्द्र सिंह गौड़ ने बताया कि बच्चों के साथ होने वाली अनहोनी घटनाओं को रोकने के लिए सरकार खासी एलर्ट हो गई है। शिक्षा निदेशालय ने बच्चों की सुरक्षा के लिए अभिभवकों को एक एडवाइजरी जारी की है। इसके साथ ही स्कूल प्रबंधन और शिक्षकों की जिम्मेदारी तय करते हुए उनके लिए अनिवार्य तौर पर माने जाने वाले सख्त निर्देश भी जारी किए हैं। जिन्हें नोडल केन्द्रों के माध्यम से सभी संस्था प्रधानों को पहुंचा दिया है।
ये होगी संस्था प्रधान की जिम्मेदारी
शिक्षा निदेशालय की ओर से स्कूल प्रबंधकों और संस्था प्रमुखों के लिए बच्चों की सुरक्षा को गंभीरता से लेने के लिए गाइड लाइन जारी की गई है। जिसका उन्हें हर हाल में पालन करना होगा। इस गाइड लाइन के मुताबिक स्कूल में सुरक्षा की जिम्मेदारी संस्था प्रमुख की होगी इसलिए सुरक्षा मानकों का उन्हें पूरी तरह से पालन करवाना होगा। स्कूल में शौचालय स्टाफ की नजर में होना चाहिए। स्कूल बस व ऑटो के ड्राइवर से लेकर खलासी का पूरा रिकॉर्ड स्कूल के पास होना चाहिए। स्कूल या स्कूल व्हीकल्स के आसपास कोई अनजान व संदिग्ध को देखते ही तुरंत पूछताछ करनी होगी। विद्यार्थियों को उनके शारीरिक एवं बौद्धिक विकास के बारे में जानकारी देना। विद्यालय की प्रार्थना सभा में नैतिक एवं अनुकरणीय कथन, कथा व प्रेरक जीवनियों के बारे में जानकारी देना। इसके साथ ही प्रत्येक अभिभावक के नंबर छात्र के उपस्थिति रजिस्ट्रर में आगे लिखे होना चाहिए।
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शिक्षक के ये होंगे दायित्व
सरकार की ओर से जारी किए गए अलर्ट में स्कूल प्रबंधन के साथ-साथ शिक्षकों की जिम्मेदारी भी तय की गई है। जिसमें निर्देश दिए गए हैं कि शिक्षक कक्षा के प्रांरभ, मध्याह्न व समापन पर कोई छात्र कक्ष में अकेला तो नहीं बैठा रह गया, इसकी नियमित जांच करें। विद्यार्थी बार-बार लघुशंका को जाने एवं लघुशंका के लिए छोटे बच्चे के साथ बड़े को भेजना होगा। बच्चे स्कूल में मोबाइल का प्रयोग नहीं करें।
खेल के दौरान विद्यार्थियों पर शिक्षकों की निगरानी हो। विद्यार्थी के व्यवहार पर आकस्मिक परिवर्तन होने पर उसके कारण को जानने का प्रयास हो। छोटी कक्षा के विद्यार्थी पर विशेष नजर व इनकी बड़ी कक्षा के विद्यार्थियों से अधिक संगत करने पर पैनी गिनरानी रखनी होगी। किसी भी विद्यार्थी के देरी से आने पर देरी के कारण का परिजन से संपर्क कर पता करना होगा। इसके साथ ही हर स्कूल में एक शिक्षक प्रभारी बनाया बनाना होगा, सभी गतिविधियों पर नजर रखेगा, कोई शिकायत होगी तो तुरंत संस्थाप्रधान को बताएगा।
अभिभावकों की भी जिम्मेदारी
राजस्थान सरकार ने पेरेंट्स के लिए भी एक एडवाजरी जारी की है। जिसमें अभिभावकों की जिम्मेदारी तय की गई है। इसके मुताबिक विद्यालय में बच्चों के प्रवेश कराने से पूर्व विद्यालय के बारे में पूरी जानकारी लेनी होगी। प्रत्येक शिक्षक-अभिभावक परिषद् में शामिल होने के साथ ही बच्चों के बारे में जानकारी लें। घर पर बच्चों को अधिक समय दें। प्रतिदिन बच्चों की डायरी चेक करें। स्कूल बस के स्टाफ के बारे में पूरी जानकारी एवं इनकी समय का ध्यान रखें। ड्राइवर व स्कूल के नंबर रखें ताकि देरी होने की स्थिति में फोन कर कारण पता किया जा सके।
Updated on:
04 Oct 2017 10:07 am
Published on:
04 Oct 2017 10:02 am
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