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कैबिनेट मंत्री रहने के बाद बने वार्ड पंच, विरोध में पत्र लिखकर करवा लिया था मुंडन, जानें कौन थे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भरत स‍िंह

पूर्व मंत्री भरत सिंह कुन्दनपुर ने करीब 2 वर्ष पहले मुख्यमंत्री को पत्र लिखा और पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया पर कार्रवाई न करने और खान की झोपड़ियां गांव को कोटा जिले में शामिल नहीं करने का विरोध जताया।

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कोटा

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Akshita Deora

Oct 07, 2025

पूर्व मंत्री भरत सिंह की फाइल फोटो: पत्रिका

Congress Leader Bharat Singh Kundanpur Passes Away: पूर्व मंत्री भरत सिंह कुंदनपुर अपनी ईमानदार छवि एवं बेबाकी के लिए खास पहचान रखते थे। उनका जन्म 15 अगस्त 1950 को हुआ। भरत सिंह का राजनीतिक सफर गृह पंचायत कुंदनपुर से ही शुरू हुआ। उन्होंने कुंदनपुर ग्राम पंचायत में पंचायतीराज की सबसे निचली कड़ी वार्ड पंच बनकर सबको चौंका दिया था।

वे 10 वर्ष तक सांगोद पंचायत समिति के प्रधान रहे। 3 बार सरपंच रहने के साथ वर्ष 2014 से 2019 तक पंचायत के वार्ड पंच रहे। मंत्री रहने के बाद वार्ड पंच बनने पर उन्होंने कहा था- काम करने के लिए बड़ा-छोटा पद मायने नहीं रखता, आपकी इच्छाशक्ति महत्व रखती है। उनकी पत्नी मीना देवी भी ग्राम पंचायत की सरपंच रही। उनके परिवार में पत्नी मीना देवी और दो पुत्र हैं। भरत सिंह के पिता जुझार सिंह भी सांसद रहे थे।

2003 में ललित किशोर चतुर्वेदी को हराया

भरत सिंह 10वीं, 12वीं, 13वीं व 15वीं विधानसभा के सदस्य रहे। वर्ष 1990 में दीगोद विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने अपना पहला चुनाव निर्दलीय लड़ा पर हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 1993 में उन्हें पहली जीत झालावाड़ जिले के खानपुर विधानसभा क्षेत्र से मिली। कांग्रेस से चुनाव लड़ते हुए उन्होंने भाजपा प्रत्याशी चतुर्भुज को हराया। उसके बाद वो वर्ष 2003 से 2013 तक लगातार दस साल दीगोद (सांगोद) से विधायक रहे। वर्ष 2003 में उन्होंने भाजपा के दिग्गज नेता ललित किशोर चतुर्वेदी को शिकस्त दी। वर्ष 2018 में सांगोद विस क्षेत्र से चुनाव जीतकर चौथी बार विधानसभा पहुंचे।

पंचायतीराज व पीडब्ल्यूडी मंत्री रहे

एमएस यूनिवर्सिटी बड़ौदा से स्नातक भरत सिंह की कृषि एवं चित्रकला के साथ फोटोग्राफी एवं पर्यावरण संरक्षण में भी खासी रुचि रही। विधायक रहते भरत सिंह स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड के सदस्य भी रहे। वर्ष 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें मंत्री बनने का मौका मिला। गहलोत सरकार में 21 दिसम्बर 2008 से 17 नवम्बर 2011 तक पंचायतीराज एवं फिर 2013 तक सार्वजनिक निर्माण विभाग के मंत्री रहे।

तल्ख चिट्टी से खास पहचान

वे बीते सालों में अपने पत्र लेखन से काफी चर्चाओं में रहे। उन्होंने कई नेताओं को लेकर अपनी नाराजगी पत्रों के जरिए जाहिर की। गलत को लेकर आवाज उठाई तो सही को लेकर अधिकारियों व सरकार की पीठ भी थपथपाई।

लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने जताया शोक

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भरत सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि भरत सिंह कुंदनपुर ने जनसेवा में अपना जीवन समर्पित किया। वे सिद्धांतनिष्ठ, सरल और जनहित के प्रति समर्पित नेता थे। उनका निधन सांगोद और राजस्थान की राजनीति के लिए बड़ी क्षति है।

प्रेरणा देता है उनका संवाद : नागर

ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने कहा कि भरत सिंह के यों चले जाने से मन व्यथित है। कुछ समय पूर्व ही कोटा अस्पताल में उनकी कुशलक्षेम जानी थी। उस समय उनके साथ किए संवाद के पल कि इसी तरह जनसेवा एवं विकास करते रहिए, आप जनप्रिय नेता हैं, जनता का आशीर्वाद ऐसे ही मिलता रहेगा, आज भी प्रेरणा देता है।

ईमानदार-स्पष्टवादी नेता खो दिया: धारीवाल

पूर्व मंत्री शांति धारीवाल ने पूर्व मंत्री भरत सिंह के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि एक ईमानदार, स्पष्टवादी और निडर नेता चला गया। राजनीतिक जीवन में कांग्रेस में उनसे लम्बा साथ रहा। जब कोटा-बारां जिला एक हुआ करता था, वे जिला प्रमुख थे। उस समय भरत सिंह ने प्रधान के रूप में उनका भरपूर साथ दिया।

विरोध में करवा लिया था मुंडन

पूर्व मंत्री भरत सिंह कुन्दनपुर ने करीब 2 वर्ष पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा और पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया पर कार्रवाई न करने और खान की झोपड़ियां गांव को कोटा जिले में शामिल नहीं करने का विरोध जताया। विरोध स्वरूप उन्होंने मुंडन करवा लिया था।