
कोटा . विधि विज्ञान प्रयोग शाला (एफएसएल) में रेप और मर्डर केसों की जांच दो चरणों से होकर गुजरती है। पहला बायोलॉजी अनुभाग और दूसरा सेरोलॉजी। वारदात के समय पुलिस द्वारा जुटाए साक्ष्य जैसे बाल, ब्लड, कपड़े सहित अन्य सेंपल जांच के लिए एफएसएल भेजे जाते हैं। यहां सबसे पहले बायॉलॉजी अनुभाग में जांच की जाती है। इसके बाद सेरोलॉजी में ब्लड ग्रुपिंग कर अपराध की पुष्टी की जाती है। यह जांच काफी सेंसटिव होती है। इसलिए एक केस की जांच में 4 दिन का समय लगता है। आइए जानते हैं एफएसएल में कैसे होती है जांच।
ब्लड टेस्टिंग
घटनास्थल से मिले सेंपल और मेडिकल ज्यूरिस्ट द्वारा लिए गए कंट्रोल सेंपल की सीरम अनुभाग में जांच होती है कि इनमें मौजूद खून इंसान का है या जानवर का। खून इंसान का मिलने पर उसकी गु्रपिंग की जाती है।
ब्लड गु्रपिंग
इसके लिए खून सने कपड़े का भाग काटकर उसे एंटीसीरा केमिकल में एक रात 4 डिग्री टेमप्रेचर पर फ्रिज में रखते हैं। फिर अन्य केमिकल से साफ किया जाता है। इसमें ताजा खून से तैयार कोशिकाएं डाली जाती हैं। दो घंटे वापस 4 डिग्री के टेमप्रेचर पर फ्रिज में रखते हैं। इस तरह ब्लड गु्रपिंग में कम से कम 2 दिन लगते हैं। इसके बाद सीमन गु्रपिंग होती है।
सीमन गु्रपिंग
सीमन ग्रुपिंग के लिए कंट्रोल सेंपल की जांच की जाती है। इसके लिए भी ब्लड गु्रपिंग वाली प्रोसेस ही अपनाई जाती है। फिर दो दिन लगते हैं। इस तरह सीरोलॉजी के एक केस में 4 दिन का समय लगता है।
यूं होती है अपराध की पुष्टि
घटना स्थल पर मिले सबूतों ( बाल, खून, कपड़े आदि ) में से ब्लड गु्रप निकाला जाता है। फिर मेडिकल जांच से डॉक्टर द्वारा एफएसएल को भेजे पीडि़ता और अपराधी के कंट्रोल सेंपल (शरीर से निकाला गया खून, थूक, लार, बाल) से ब्लड गु्रप निकाला जाता है। यदि अपराधी का ब्लड गु्रप घटना स्थल पर मिले सेंपल के गु्रप से मेच हो जाता है स्पष्ट है कि अपराधी ने ही वारदात को अंजाम दिया।
Published on:
08 Feb 2018 11:03 am
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