
रावतभाटा के पास मिले प्राचीन लौह युगीन सभ्यता के अवशेष
रावतभाटा. उपखंड क्षेत्र रावतभाटा के पास कुशलगढ़ एवं जाम्बूदीप का खेड़ा (कृपापुर) में प्राचीन लौह युगीन सभ्यता के विशाल अवशेष मिले हैं। यह क्षेत्र रावतभाटा-जावदा सड़क मार्ग पर स्थित है। इन दोनों स्थानों पर लोहा गलाने की कई भट्टी रही होगी, क्योंकि यहां लोहा गलाने के लाखों टनों के अवशेषों के ढेर लगे हुए हैं।महर्षि कण्व इतिहास शोध संस्थान कोटा एवं महाराणा प्रताप महाविद्यालय रावतभाटा के प्राचार्य इतिहासकार डॉ. तेज सिंह मावई को सर्वेक्षण के दौरान इन विशाल लौह युगीन सभ्यता के अवशेषों को देख आश्चर्य हुआ। राजस्थान ही नहीं भारत में भी शायद किसी स्थान पर लौह युगीन सभ्यता के इतने विशाल अवशेष मिले हो। गहन शोध एवं अध्ययन के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि किस काल से लेकर किस समय तक इस सभ्यता का विकास हुआ और किन कारणों से यह सभ्यता नष्ट हुई। इन अवशेषों के पास घरों के अवशेष भी है, जो अब पूर्णतया नष्ट हो गए है और टीलों में परिवर्तित हो गए है। इस खोज में महाविद्यालय के लिपिक धनराज गुर्जर भी साथ थे। राजस्थान में ईसवाल (उदयपुर), जोधपुरा (जयपुर), नोह (भरतपुर), बागौर (भीलवाड़ा) आदि स्थानों से लौह युगीन सभ्यता के अवशेष मिले हैं। बालाथल (उदयपुर) में लौह गलाने की पांच भट्टियों के अवशेष मिले हैं। रैढ (टोंक) से 200 ई.पू. के अवशेष मिले हैं। इसे प्राचीन भारत का टाटानगर कहा जाता है।
Published on:
12 Feb 2024 01:05 am
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