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ड्राइविंग लाइसेंस में अनूप की जन्मतिथि 23 अक्टूबर ही दर्ज थी। इससे कन्फर्म हो गया था कि संतोक सिंह ही अनूप है। अनूप की कानपुर में अंकुर से लगातार बातचीत हो रही थी। मोबाइल लोकेशन के आधार पर एक टीम लखनऊ और दूसरी टीम मेरे साथ कानपुर पहुंची। अनूप की लखनऊ में मोबाइल की दुकान थी। टीम ग्राहक बनकर अनूप तक पहुंच गई थी, लेकिन हमारी प्राथमिकता अंकुर को पकडऩा थी। कानपुर में तीन सौ होटलों की जांच की। इसमें एक होटल में अंकुर के नाम से एन्ट्री मिल गई। जिस कमरे में अंकुर ठहरा हुआ था, उसे कमरे में दबोच लिया। इस दौरान वह बुरी तरह घबरा गया और पसीने से तरबतर हो गया। उसको दो गिलास पानी पिलाया और फिर गिरफ्त में लिया। इसके बाद तत्काल लखनऊ में अनूप को धर लिया गया। अंकुर ने पूछताछ में बताया कि वह अपने आप को मृत घोषित कर नई जिंदगी की शुरुआत करना चाहता था। इसका उसने प्लान भी तैयार कर रखा था।
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वह देश छोड़कर भागने की फिराक में था। उसका लाइफ स्टाइल और सम्पर्क हाई प्रोफाइल है। विदेशों में भी उसके कई दोस्त हैं। उसके एक भगोड़े भाई के नेपाल में संपर्क है। ऐसे में वह विदेश में बस कर नई जिंदगी शुरू करना चाहता था। केस को पुख्ता करने और सबूत जुटाने में आईओ रहे भगवतसिंह हिंगड़ की अहम भूमिका रही।