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कोटा. राजस्थान के रण-2018 में कोटा में भी चुनावी चौसर बिछ चुकी है, और दाव पर लगी है जनता। जिसका रुख अपनी ओर मोडऩे के लिए राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों ने खजाने का मुंह खोल दिया है। शह मात के इस खेल में हर एक प्रत्याशी अपनी जीत सुनिश्चित करना चाहता है और इसके लिए वह कोई भी कीमत चुकाने को राजी है। यही वजह है कि आजादी के बाद महज कुछ हजार रुपए में लड़े जाने वाले चुनावों का बजट अब करोड़ों तक जा पहुंचा है। कोटा जिले की छहों विधानसभा में मोटे आंकलन के अनुसार प्रत्याशियों और राजकीय मद में 46.85 करोड़़इस चुनाव में खर्च होने जा रहे हैं। हर दिन करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं। प्रत्याशियों को भी इसका अंदाजा नहीं है कि रोज कितने खर्च हो रहे हैं। प्रत्याशियों के वित्तीय प्रबंधन देखने वाले पर्दे के पीछे रहते हैं। वे न तो कार्यालयों पर नजर आते हैं और न प्रचार में दिखते हैं। प्रचार में लक्जरी गाडिय़ों ही नजर आती है। प्रत्याशियों के कार्यालयों के आसपास बिना नम्बरों की लक्जरी गाडिय़ां दिख रही है।
इवेंट कम्पनियों को सौंपा जिम्मा
इस बार चुनाव में नया टें्रड आया है। दोनों ही दलों के कई प्रत्याशियों ने इस बार इवेंट कम्पनियों को चुनाव प्रबंधन का जिम्मा सौंप दिया है। जिले के तीन प्रत्याशियों ने तो दिल्ली और मुम्बई की इवेंट कम्पनियों को इसका जिम्मा सौंपा है। इसमें 15 से 25 कर्मचारी लगा रहे हैं। कॉर्पोरेट की तरह ऑफिस संचालित हो रहे हैं, जहां करीब दो-तीन दर्जन युवक-युवतियां काम देखती है। इनको सोशल मीडिया से लेकर मोबाइल पर सम्पर्क करने का जिम्मा सौंपा गया है। यह प्रतिदिन प्रत्याशियों को इसका अपडेट भी देते हैं, कितने लोगों से बातचीत हुई, क्या कैसा माहौल चल रहा है। लोगों का किस तरह का फीडबैक आ रहा है। इसके अलावा कुछ प्रत्याशी सर्वे भी करवा रहे हैं। एक माह से इवेंट कम्पनियां यहां अलग-अलग काम देख रही है। कई प्रत्याशियों ने प्रचार के लिए नए सॉफ्टवेयर भी विकसित करवाए हैं।
पांच लाख रुपए रोज की फूल-माला
हाड़ौती की सियासत मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के फूलों से महक रही है। इंदौर, रतलाम, उज्जैन, मुम्बई, पूणे और कोलकाता के फूलों से कोटा की मंडी सजी हुई है। सबसे ज्यादा गेंदा और गुलाब की मांग है। सियासी पारा चढऩे के साथ ही फूलों का बाजार भी गर्म हो गया है। थोक फूल मंडी और गुमानपुरा आदि इलाकों की रिटेल शॉप से इन दिनों रोजाना चार से पांच लाख के फूलों की खपत हो रही है। इनमें मालाएं और गुलदस्ते भी शामिल हैं।
लाखों का सुबह-शाम चल रहा जीमण
रोजाना दोनों वक्त चुनावी सीजन में कार्यकर्ता और अन्य लोग दावत उड़ा रहे हैं। जिले के कुछेक प्रत्याशियों के तो एक माह से भंडारे चल रहे हैं जिसमें पूड़ी-सब्जी का दौर चल रहा है। कार्यकर्ता सम्मेलनों में विशेष जीमण चल रही है। शहर की एक विधानसभा में तो दोनों ही दलों के प्रत्याशियों ने प्रत्येक वार्ड में कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित किए हैं। प्रत्येक कार्यक्रम में पांच से छह हजार लोगों को भोज कराया है। एक विधायक ने अपने जन्म दिन पर दस हजार कार्यकर्ताओं को भोज करवाया था। एक अन्य विधायक ने भी पांच हजार लोगों के भोज का कार्यक्रम रखा था। प्रतिदिन चुनाव का काम देख रहे कार्यकर्ताओं के लिए सुबह-शाम का अगल-अलग मैन्यू तय है। सुबह पूड़ी की जगह तवा रोटी खिलाई जा रही है। कुछ प्रत्याशियों ने रेस्टोरेंट और ढाबों से पैकिंग के खाने की भी व्यवस्था कर रखी है।
1100 रुपए अधिग्रहित वाहन को
चुनाव आयोग की ओर से इस बार विधानसभा चुनावों के लिए परिवहन विभाग की ओर से वाहनों को अधिग्रहित करने के लिए प्रतिदिन वाहन मालिक को देने वाली राशि में एक हजार के स्थान पर 1100 रुपए का भुगतान किया जाएगा। वाहन के प्रतिदिन 1100 रुपए, 10 किलोमीटर प्रति लीटर के हिसाब से ईंधन खर्च व जरूरी होने पर ऑयल भी दिया जाएगा।
निर्वाचन विभाग का इतना
खर्चा होगा
कोटा जिले में निर्वाचन विभाग की ओर से इस बार खर्च करीब सात करोड़ रुपए तक पहुंचने की संभावना है। अब तक करीब तीन करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। इसमें मुद्रण सामग्री, वाहन खर्च, भोजन से लेकर कर्मचारियों के भत्ते भी शामिल है। जिले में 7092 अधिकारी-कर्मचारी मतदान के लिए तैनात होंगे।
Published on:
28 Nov 2018 05:35 pm
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