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चंद्रयान-2 की सफलता में कोटा के इन होनहारों ने भी निभाई महत्वपूर्ण भूमिका..

proud moment : आरटीयू के छात्रों ने बढ़ाया कोटा का मान  

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कोटा

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Rajesh Tripathi

Jul 24, 2019

kota news

चंद्रयान-2 की सफलता में कोटा के इन होनहारों ने भी निभाई महत्वपूर्ण भूमिका..

कोटा. इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं में सफलता का पर्याय बन चुका कोटा अब अंतरिक्ष अभियानों में भी अपनी धाक जमाने लगा है। कोटा में ही पले बढ़े और पढ़े चार युवा स्पेस इंजीनियर्स का हुनर इंडियन स्पेश रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) के साथ जुड़कर सफलता का आसमान छू रहा है। इनमें तीन युवा अंतरिक्ष वैज्ञानिक चंद्रयान 2 के सफल प्रक्षेपण से भी जुड़े हुए हैं।


चंद्रयान द्वितीय प्रक्षेपण को लेकर भारत की ऐतिहासिक छलांग में कोटाके युवा अभियंताओं का भी बड़ा हाथ रहा है। राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय(आरटीयू) में पढ़े यह स्पेस इंजीनियर्स चंद्रयान 2 की लांचिंग से न सिर्फ जुड़े रहे, बल्कि उसके सफल प्रक्षेपण में भी अहम भूमिका निभाई है।

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इसरो में कोटा की धाक

आरटीयू के डीन फेकल्टी अफेयर्स एवं यूनिवर्सटी डिपार्टमेंट कॉलेज प्रो. अनिल माथुर ने बताया कि इसरो में इस वक्त कोटा के चार पूर्व विद्यार्थी अहम जिम्मेदारियां निभा रहे हैं। इलेक्ट्रानिक्स ब्रांच से वर्ष 1992-96 में बीटेक करने वाले विवेक राय श्रीवास्तव बीस सालों से इसरो से जुड़े हैं। दादाबाड़ी निवासी विनोद राय और आशा राय के बेटे ने वर्ष 1998 में इसरो ज्वॉइन किया और उसके बाद स्पेसक्राफ्ट के तकनीकी विकास में अहम भूमिका निभाई। विवेक चंद्रयान 2 की लांचिंग लीडर्स की टीम का अहम हिस्सा रहे हैं। उनकी पत्नी सुप्रिया भी आरटीयू से पासआउट हैं।

लांचिंग पैड पर कोटा की मौजूदगी
प्रो. माथुर ने बताया कि चंद्रयान 2 के सफल प्रक्षेपण से सीधे जुड़े दूसरे स्पेस इंजीनियरिंग साइंटिस्ट मनीष शर्मा ने आरटीयू से वर्ष 2013-17 में मैकेनिकल ब्रांच से बीटेक किया था। वर्ष 2018 में इसरो से जुडऩे वाले मनीष अपने बैच के गोल्ड मैडलिस्ट भी रहे। फिलहाल वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद महत्वाकांक्षी अभियान ह्यूमन लाइफ एट स्पेस से भी जुड़े हुए हैं। रावतभाटा निवासी मनीष के पिता नरेश शर्मा और मां रेखा शर्मा बताते हैं कि एटोमिक एनर्जी सेंट्रल स्कूल से पढ़ाई के दौरान ही वह चांद पर नाम लिखने के सपने देखा करता था।

भावना भी कम नहीं
बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व ब्रांच मैनेजर सुभाष चंद्र बांठिया की इकलौती बेटी भावना को वर्ष 2007 में आरटीयू से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीई ऑनर्स की पढ़ाई पूरी करने के बाद भावना को एक मल्टीनेशनल कंपनी ने कैंपस से ही प्लेसमेंट दे दिया, लेकिन उन्होंने वर्ष 2009 में बतौर साइंटिस्ट कम इंजीनियर इसरो ज्वॉइन किया। प्रो. माथुर ने बताया कि भावना रूस और अमरीका के बाद भारत को रीयूजेबल लांच व्हीकल टेक्नोलॉजी डिमांस्ट्रेटर (आरएलवी-टीडी) तैयार करने में सफलता दिलाने वाली टीम का अहम हिस्सा रह चुकी है। उसके बाद चंद्रयान 2 से जुड़े एक शॉर्ट टर्म प्रोजेक्ट पर भी काम कर चुकी हैं।