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300 रुपए में ट्रेन से भेजिए पिस्तौल और बम, रोजाना खतरे में रहती है हजारों यात्रियों की जिंदगी

रेलवे के कर्मचारी ही अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए ट्रेन में सफर करने वालों हजारों यात्रियों की जिन्दगी खतरे में डालने से नहीं चूक रहे।

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कोटा

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Zuber Khan

Mar 08, 2018

suspected parcel in Train

कोटा . एक ओर तो रेलवे संरक्षा के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है, वहीं रेलवे के कर्मचारी ही अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए ट्रेन में सफर करने वालों हजारों यात्रियों की जिन्दगी खतरे में डालने से नहीं चूक रहे। ये कर्मचारी चंद रुपयों के लालच में यात्रियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ट्रेनों में एसी कोचों में यात्रियों की सुविधा के लिए तैनात होने वाले अटेंडेंट ही यात्रियों की जान को दुविधा में डाल रहे हैं।

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इन एसी कोच अटेंडेंट को चंद रुपए देकर कोई भी व्यक्ति पार्सल में कोई भी मादक पदार्थ, हथियार या विस्फ ोटक सामग्री एक स्थान से दूसरे स्थान के लिए भेज सकता है। आमतौर पर लोग इन एसी कोच अटेंडेंट का उपयोग अपनी कोई सामग्री को दूरदराज रहने वाले रिश्तेदार या परिचित के लिए पार्सल में बंद कर भेजते हैं। लेकिन चंद रुपयों का लालच देकर इन कोच अटेंडेंट का इस्तेमाल कोई भी समाजकंटक आपराधिक मंसूबों के लिए कर सकते हैं। पत्रिका ने स्टिंग ऑपरेशन के माध्यम से बुधवार को इस खतरनाक खेल को उजागर किया।

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पार्सल में रद्दी, पत्थर
पत्रिका टीम ने ट्रेन में पार्सल भेजने के लिए तीन मिठाई के डब्बे लिए और किसी में रद्दी कागज तो किसी में पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़े भर दिए। ये पार्सल रेलवे स्टेशन पहुंच कर अलग-अलग ट्रेन में एसी कोच के अटेंडेंट को थमा दिए। अटेंडेंट ने इन पार्सल को पहुंचाने की कीमत तय की और पार्सल ले लिए। इन पार्सल को संबंधित जगह व व्यक्ति तक पहुंचाने की बात तय हो गई। अटेंडेंट्स द्वारा पार्सल संबंधित व्यक्ति को देने के बाद उससे ही रकम लेना तय हुआ।

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अवध एक्सप्रेस: ब्रांद्रा से गौरखपुर

पत्रिका टीम ने सबसे पहले पत्थर से भरा एक पार्सल अवध एक्सप्रेस के कोच नंबर बी 1 के अटेंडेंट को दिया। उसने पहले तो पार्सल लेने से मना कर दिया। इसके बाद संवाददाता वापस जाने लगा तो अटेंडेंट ने उसे बुला लिया। बाद में अटेंडेंट ने पार्सल कोटा-आगरा ले जाने के ही 500 रुपए की मांग की। संवाददाता ने रुपए ज्यादा मांगने की बात कही तो वह बोला कि, सुबह 4 बजे आपका पार्सल दंूगा। कम से कम इतना तो बनता ही है। समझाइश के बाद उसने 300 रुपए तय कर पार्सल ले लिया।

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राजधानी एक्सप्रेस: दिल्ली से तिरुवनन्तपुरम

भारतीय रेल की वीआइपी ट्रेन भी सुरक्षा की दृष्टि से सेफ नहीं है। संवाददाता जब इस ट्रेन के कोच ए 3 में अटेंडेंट से मिलने गया तो वह नहीं मिला। वहां केटरिंग का काम करने वाला एक युवक मिला। अटेंडेंट के बारे में पूछा तो उसने कहा कि वो तो नहीं है आपको क्या काम है। इस पर संवाददाता ने पार्सल को बसई रोड स्टेशन पर देने की बात कही। वह तैयार हो गया, लेकिन इसके बदले में 400 रुपए मांगे। बाद में उसने 300 रुपए तय कर पार्सल ले लिया।


गोल्डन टेम्पल: अमृतसर से मुम्बई सेन्ट्रल
पत्रिका संवाददाता ने गोल्डन टेम्पल के कोच नंबर बी 5 के अटेंडेंट को मुम्बई सेन्ट्रल में पार्सल ले जाने के लिए कहा तो वह कुछ देर आनाकानी करने के बाद तैयार हो गया। पार्सल को कोटा-मुम्बई पहुंचाने के दो सौ रुपए मांगे। रुपए कम करने के लिए कहा तो उसका कहना था की 100 रुपए तो पुलिस ही ले लेगी और क्या कम करूं। अखिरकार उसने 200 रुपए तय कर पार्सल ले लिया।