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कोटा में तांडव मचाने के बाद फिर से कहर बरपाने आया यह वायरस…संभल कर रहें

कोटा. पिछले साल स्वाइन फ्लू ने कोटा में जमकर कहर बरपाया था। सबसे ज्यादा अगस्त-सितम्बर में इसका असर रहा।

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कोटा

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Zuber Khan

Mar 07, 2018

Swine flu virus in kota

फिर से तबाही मचाने आया स्वाइन फ्लू

कोटा . पिछले साल स्वाइन फ्लू ने कोटा में जमकर कहर बरपाया था। सबसे ज्यादा अगस्त-सितम्बर में इसका असर रहा। उस समय स्वाइन फ्लू से 26 मौतें हुई थी। 2017 अगस्त में 486 टेस्ट हुए थे, इनमें 123 पॉजीटिव पाए गए। सितम्बर में 1146 टेस्ट हुए, इनमें से 214 पॉजीटिव पाए गए। अक्टूबर में इसका असर कम हुआ। कुल 375 टेस्ट हुए और 33 पॉजीटिव मिले। कोटा में जनवरी से लेकर दिसम्बर तक 2509 स्वाइन फ्लू रोगियों ने टेस्ट कराया था। इसमें से 410 पॉजीटिव पाए गए थे,जबकि 2018 में अब तक 8 की मौतें स्वाइन फ्लू की वजह से हो चुकी हैं। इनमें कोटा की पांच व तीन अन्य जिलों की हैं। हाड़ौती में स्वाइन फ्लू खुलकर मौत का खेल खेल रहा है। इस साल अभी तक 8 मौतें हो चुकी हैं। इनमें एक मौत सोमवार को ही हुई, जबकि पांच नए रोगी मिले। पिछले साल 26 जानें इस खतरनाक बीमारी की वजह से जा चुकी हैं।

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यूं रखें ध्यान
खांसते और छींकते वक्त मुंह व नाक को रूमाल या टिश्यू से ढंक लें।
नाक, आंखें या मुंह को छूने के पहले और बाद हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोएं।खांसी-बहती नाक, छींक व बुखार जैसे फ्लू के लक्षणों से प्रभावित लोगों से दूरी बनाएं। भरपूर नींद लें और डॉक्टर के निरंतर संपर्क में रहे। खूब पानी पीएं व पोषक भोजन लें। घर के दरवाजों के हैंडल, की बोर्ड व इत्यादि को साफ रखें।

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कोई बीमार है तो अपनी कैटेगरी जान लीजिए

आपको हल्का सा बुखार है और कफ भी है। गला खराब होने के साथ बदन दर्द, दस्त और उल्टी हो रही है तो घबराइए नहीं। इसमें एच-1 एन-1 टेस्ट की कोई जरूरत नहीं है। इसमें टेमीफ्लू लेने की कोई आवश्यकता नहीं है। सिर्फ घर पर आराम कीजिए। भीड़ वाले इलाकों में जाने से बचिए। गर्भवती, छोटे बच्चे और बुजुर्गों के पास न जाएं।

आपको बहुत बुखार है और गले में दर्द है तो आपको भी टेस्ट की जरूरत नहीं है। ऐसे समय में आप सिर्फ टेमीफ्लू टेबलेट का सेवन कर लें। घर में एक अलग कमरे में रहे। इसके लिए विशेष रूप से डॉक्टर से परामर्श लें।

प्रतिरोधकता बढ़ाने के लिए ये भी करें


प्रतिदिन तुलसी की 15-20 ताजा पत्तियों का रस अथवा पेस्ट बनाकर गुनगुने पानी के साथ नियमित सेवन करें।
10 ग्राम तुलसी, 2 ग्राम अदरक एवं 2-4 कालीमिर्च के दाने मिलाकर नियमित गर्म पानी के साथ सेवन करें।
नीमगिलोय एवं 2 चम्मच अदरक के रस को शहद में मिलाकर नियमित सेवन करें।

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आयुर्वेद औषधियों से बचाव
एक-एक ग्राम गिलोय एवं कालमेघ तथा आधा-आधा ग्र्राम चिरायता, कुटकी, नीमपत्र, अश्वगंधा, तुलसी, मधुयष्ठि व हल्दी को मिलाकर इसकी 10 ग्राम मात्रा को 400 मिली. पानी में 100 मिली. शेष रहने तक उबालें और इसका रोजाना शाम को सेवन करें।
आधा चम्मच शुण्ठी चूर्ण, आधा चम्मच काली मिर्च, 1-2 लोंग, एक चम्मच मधुयष्ठि चूर्ण, 5-10 धनिया के बीजों को 4 गिलास पानी में मिलाकर एक गिलास पानी रहने तक उबालें एवं इसे छानकर नियमित सुबह-शाम सेवन करें।


नाक बंद होने पर दो बूंद नीलगिरि का तेल नाक में डालें अथवा गर्म पानी में कुछ बूंद नीलगिरि का तेल डालकर भाप लें।
डाक्टरी सलाह से नियमित एलोपैथिक दवा भी लें।