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दरा के जंगल में ट्रोला रेल मार्ग वाले हिस्से पर झूला, लगा जाम

समस्या का नहीं स्थाई समाधान

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दरा के जंगल में ट्रोला रेल मार्ग वाले हिस्से पर झूला, लगा जाम

दरा के जंगल में ट्रोला रेल मार्ग वाले हिस्से पर झूला, लगा जाम

रामगंजमंडी (कोटा). दरा के जंगल का करीब नौ किलोमीटर की सड़क वाहन चालकों के साथ राहगीरों के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई है। यहां जाम लगने पर होने वाली मुसीबत से राष्ट्रीय राजमार्ग के अधिकारी वाकिफ होने के बावजूद इस सड़क मार्ग के तीन ब्लैक स्पाॅट का हल नहीं निकाल पाए है। सड़क की चौड़ाई बढ़ाने का प्रयास भी नहीं किया जा रहा। सोमवार को इस मार्ग पर एक ट्रोला नई दिल्ली-मुंबई रेल लाइन की तरफ झूल गया। संयोग रहा कि पेड़ की वजह से ट्रोला पटरी तक जाने से रुक गया, वरना गंभीर हादसा हो सकता था। पटरी की तरफ झूले ट्रक को मशीनें लगाकर जब निकलने की कवायद मंगलवार शुरू हुई तो सड़क मार्ग तब तक बाधित रहा जब तक ट्रोला व्यवस्थित सड़क तक नहीं आया।
आधा घंटे से अधिक समय जाम
मंगलवार को ट्रोला निकालने की प्रक्रिया की वजह से आधा घंटे से अधिक समय तक सड़क पर जाम के हालत बने। ट्रोला यहां सोमवार रात को पटरी की तरफ झूला था।
यहां लगता जाम
दरा के जंगल में नौ किलोमीटर की लम्बी सड़क की चौड़ाई टू लेन सड़क है। इस मार्ग से एक हिस्से से झालावाड व दूसरे से कोटा शहर जुड़ा है। जंगल का एरिया पार करने के साथ दोनों हिस्सों में छह लेन सड़क मार्ग है। मार्ग पर भारी आवागमन रहता है, जो दरा वन क्षेत्र की सड़क पर चंद मिनट के जाम में लगने वाली वाहनों की कतार दर्शा देती है। नौ किलोमीटर वन क्षेत्र की सड़क में तीन ब्लैक स्पाॅट हैं, जहां अक्सर जाम की स्थिति बनती है। बरसात में पानी जो नालों के जरिये बाहर निकलता है वह सड़क पर आकर मार्ग को घंटों बाधित करता है, तो बरसात से क्षतिग्रस्त होने पर सड़क के गड्ढे में वाहनों के धंसने से एक्सल टूटने पर जाम लग जाता है। घुमाव वाले स्थानों पर भी जाम की शिकायत अक्सर बनी रहती है। कई बार दुर्घटना होने पर दुर्घटनाग्रस्त वाहनों को हटाने तक वाहन चालकों व बसों में सवार यात्रियों को घंटों जाम में फंसने से परेशानी झेलनी पड़ती है। इस सड़क मार्ग से सटकर रेलवे लाइन निकली हुई है। अनियंत्रित होकर वाहनों के रेलवे लाइन की तरफ वाहनों के इंजन आने की घटना के बाद प्राधिकरण की तरफ से सुरक्षा दीवार भी एक जगह बनाई हुई है, लेकिन उसके पीछे व आगे वाले हिस्से में पटरी से सड़क की दूरी होने के बावजूद सोमवार को अनियंत्रित ट्रोला रेलवे लाइन की तरफ झूलने की घटना हो गई।
स्थाई समाधान नहीं
छह लेन सड़क मार्ग का निर्माण कराते समय दरा के जंगल वाले हिस्से से एलिवेटेड सड़क बनाने का निर्णय हुआ था। डीपीआर भी बनी। सर्वे में मामला पुरातत्व विभाग से जुड़ा आया तो एलिवेटेड सड़क के प्रस्ताव कागजों में दबकर रह गए। कोई वैकल्पिक रास्ता अब तक नहीं खोजा जा रहा।