
राज्य में ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) रोग से ग्रसित और उपचार ले रहे सभी मरीजों की पहचान के लिए शनिवार से सघन स्क्रीनिंग अभियान शुरू होगा। इस अभियान में आशा सहयोगिनियों अपने क्षेत्रों में नियमित भ्रमण के दौरान टीबी मरीजों को चयन करेंगी। 25 मार्च तक चलने वाले इस अभियान के आधार पर टीबी मरीजों का डाटा बेस तैयार होगा।
सीएमएचआ डॉ. आरएन यादव ने बताया कि परिवार में रहने वाले सभी व्यक्तियों की टीबी रोग के लक्षणों की स्क्रीनिंग का लक्ष्य निर्धारित किया गया हैं। इसमें मरीजों मिलने पर उसे नजदीकी प्राथमिक या सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द पर जांच के लिए भेजा जाएगा। साथ ही इन मरीजों के उपचार की सघन मॉनिटरिंग की जाएगी। भारत सरकार के 2025 तक टीबी की बीमारी को खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया हैं।
दो प्रपत्रों में होगी स्क्रीनिंग
आशाओं को रोग के लक्षण वाले व टीबी रोग का उपचार ले रहे व्यक्तियों की जानकारी निर्धारित दो प्रपत्रों में देनी होगी। इसमें फार्म ए में दो हफ्ते से ज्यादा खांसी, शाम के समय बुखार आना, खांसी के साथ खून आना, छाती में दर्द होना या सांस फूलना, गर्दन या बगल में गांठ, वजन घटना या भूख कम लगने वाले मरीज शामिल होंगे। वहीं दूसरे फार्म बी में वे रोगी, जिनका टीबी का इलाज चल रहा है या फिर जो हाल ही में पॉजीटिव आएं हैं।
स्तन कैंसर की हुई थी फर्जी स्क्रीनिंग
चिकित्सा विभाग की ओर से पिछले साल जिले में स्तन कैंसर के संदिग्ध मरीजों की मेडिकल कॉलेज स्तर पर जांच कराने के लिए स्क्रीनिंग अभियान चलाया था। यह अभियान भी आशाओं के भरोसे था। इसमें करीब 900 महिलाओं संदिग्ध बताया था, लेकिन कॉलेज में आयोजित मैगा कैंप में करीब 60 महिलाएं ही पहुंची। बाद में जांच में सामने आया कि इसमें कई फर्जी नाम थे, क्योंकि आशाओं को इस स्क्रीनिंग की राशि नहीं मिली थी। इस बार भी प्रत्येक आशा को शहर में पांच हजार और ग्रामीण में 1 हजार लोगों की स्क्रीनिंग 'मुफ्त में करनी है।
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