जबकि वे इन वर्षों में जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों की कई डिजायर तक लगा चुके है, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। शिक्षा विभाग में प्रबोशन पीरियड के दो साल बाद शिक्षकों के तबादले करने का नियम है। बावजूद अधिकारी प्रतिबंधित जिलों का हवाला देते हुए उनके तबादले नहीं कर रहे है।
केस.1 झालावाड़ जिले के राउमावि दुर्गपुरा में सामाजिक विज्ञान के द्वितीय श्रेणी शिक्षक पद पर कार्यरत नंदसिंह तोमर 29 साल से उसी स्कूल में है। उनका अपेन्डिक्स, प्रोस्टेज व चार बार आंखों के ऑपरेशन हो चुके है। सेवानिवृत्ति का एक साल बचा है। वह डेली कोटा से अपडाउटन करते है। वे 2004 से तबादले के लिए आवेदन कर रहे है, लेकिन नहीं हो रहा है।
केस.2 बारां जिले के बम्बोरीकलां के रामावि में विज्ञान विषय की द्वितीय श्रेणी शिक्षका रीना कुमारी पांच साल से पदस्थापित है। उनके तीन साल के बच्चे को निमोनिया है। सास को निमोनिया व अस्थमा है। ससुर को कैंसर है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों को बारां व कोटा में तबादले के लिए डिजाइयर लगाई, लेकिन तबादला नहीं हो रहा है।
बीमारियों पर मिलती प्राथमिकता सरकार तबादलों में शिक्षक व उनके परिजनों को बीमारियों पर प्राथमिकता देती है। द्वितीय श्रेणी शिक्षका रीना कुमारी का परिवार बीमारी से ग्रसित है। वे बारां व उसके आसपास कस्बों में आना चाहती है। जबकि शिक्षक नंद सिंह तोमर का सेवानिवृत्ति का एक साल बचा है।
वह चलने-फिरने में असमर्थ है। उनके दस ऑपरेशन हो चुके है। तोमर ने बताया कि वे 2004 से तबादले के लिए आवेदन कर रहे है, लेकिन नहीं हो रहा है। रीना ने कहा कि वे पांच साल से प्रयास कर रही है, उनका भी तबादला नहीं हो रहा है।
मैच्युअल तबादले भी नहीं शिक्षक तोमर व रीना ने बताया कि वे मैच्युअल तबादले भी करवाना चाहते है। इसके बदले में उनके ऑप्शन भी दे चुके है, लेकिन बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
सूची जारी, फिर भी नहीं हुए तबादले शिक्षा विभाग ने दो दिन पहले ही कोटा मंडल में जिले से जिले में 560 द्वितीय श्रेणी शिक्षकों की तबादला सूची जारी गई। बावजूद इन शिक्षकों के तबादले नहीं हुए है। इससे इन शिक्षकों में फिर निराशा छा गई।
शिक्षा विभाग
जयपुर की ओर से कोटा मंडल में जिले के जिले में द्वितीय श्रेणी शिक्षकों की तबादला सूची जारी की है। प्रतिबंधित जिलों के तबादलों की सूची राज्य सरकार के पास विचाराधीन है।
– अजीत लुहाडिय़ा, सहायक निदेशक, कोटा