scriptकोई नहीं भुला सका है वो मंजर, जंगल की खुशियां मातम में बदली… | Tiger MT-3 Died in mukundra tiger reserve and incident of broken tail | Patrika News

कोई नहीं भुला सका है वो मंजर, जंगल की खुशियां मातम में बदली…

locationकोटाPublished: Jul 23, 2020 04:09:37 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

टी -35 रही है 6 साल
 
 

कोई नहीं भूला सका है वो मंजर, 17 महीने में ही टूट गया साथ...

कोई नहीं भूला सका है वो मंजर, 17 महीने में ही टूट गया साथ…

कोटा. कुदरत का खेल बड़ा निराला है। जिस मुकुंदरा टाइगर रिजर्व से 2 जून को दो बाघ शावकों के जन्म लेने की खबर ने हाड़ौती सहित पूरे प्रदेशभर में खुशी की लहर दौड़ा दी थी, आज उसी मुकुंदरा में शोक की लहर छा गई है। करीबन 17 महीने पहले मुकुंदरा को अपना नया घर बनाने वाले एमटी 3 बाघ ने दुनिया को अलविदा कह दिया। वन्यजीव प्रेमी इस खबर से सदमे में है। लेकिन ये पहला मौका नहीं है जब इस तरह की घटना से बाघों की सुरक्षा को लेकर किए इंतजामों पर सवाल उठे हैं। दरा अभ्यारण्य और रिजर्व क्षेत्र में पहले भी ऐसी मौते हुई है।
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आज भी जेहन में है वो नजारा
जब भी मुकुंदरा से किसी वन्यजीव को लेकर कोई दुखद खबर सामने आती है। 2003 में हुए दर्दनाक हादसे के जख्म हरे हो जाते हैं। रणथम्भौर से मुकुंदारा पहुंचे एक बाघ की 2003 में राजधानी एक्सप्रेस की चपेट में आने से मौत हो गई थी। ब्रोकन टेल बाघ दरा के जंगल में रास्त भटककर आया था।

टी -35 रही है 6 साल
जनवरी 2010 में रणथम्भौर से टी -35 बाघिन आई और छह वर्ष सुल्तानपुर में रही। उसकी इसी वर्ष मार्च में मौत हो गई थी।

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