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मां ने किया बेटो का 9 साल इंतजार, इधर गूगल से रास्ता खोज गांव पहुंचे बेटे

हालात के चलते नौ साल पहले मां से दो बेटे बिछड़ गए थे। ऑपरेशन 'मिलाप' के तहत गूगल पर गांव का रास्ता खोज कर इन मां-बेटों को मिलाया गया।

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कोटा

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ritu shrivastav

Nov 30, 2017

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दोनों बेटे समीक्षा

कोटा . बाल कल्याण समिति व चाइल्ड लाइन के प्रयासों से दो बच्चों को 9 साल बाद उनकी मां मिल गई। बच्चों से मिलते ही मां की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और खुशी से आंसू छलक आए। बाल कल्याण समिति अध्यक्ष हरीश गुरूबक्शानी ने बताया कि 28 अक्टूबर को रेलवे स्टेशन पर एक बच्चा अनिल मिला था। पूछताछ में उसने 18 वर्ष का होना बताया। मेडिकल कराने पर चिकित्सकों ने उसकी उम्र 16 साल बताई। उसके बाद पूछताछ की तो उसने बताया कि वह उज्जैन में एक शेल्टर होम में बचपन से रहा करता था। वहां से 18 साल का होने पर उसे स्वतंत्र कर दिया गया। उसका एक भाई जयपुर में है, वह भी वहां से 18 साल का होने पर स्वतंत्र कर दिया गया।

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ऑपरेशन 'मिलाप' का एेसा रहा सफर

अनिल को केवल उसके गांव का नाम तिलसवा ध्यान रहा। इस नाम को बाल कल्याण समिति ने गूगल पर सर्च किया तो वह भीलवाडा जिले में निकला। गांव से सम्बंधित थाने में पूछा तो एेसी कोई गुमशुदगी दर्ज नहीं मिली। तब पुलिस से गांव में पता करने का आग्रह किया गया। तब पता चला कि लाडबाई के बच्चे 9 वर्ष पूर्व गुम हो गए थे। तब परिजनों को यहां बुलाया, बच्चों की निशानी पूछी। मां ने तुरंत निशानियां बता दीं। पुष्टि के आधार पर बाल कल्याण समिति ने अस्थाई रूप से बच्चों को मां के सुपुर्द कर दिया।

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दर्द भरी है मां की भी कहानी

लाड़बाई ने बाल कल्याण समिति को बच्चों के गुम होने की जो कहानी बताई वो भी कोई कम दर्दभरी नहीं। उसने बताया कि वह जब 7-8 साल की थी तब उसका जीजा शंभू उसे उठाकर ले गया था। वह करीब 9 साल तक उसके साथ रही। जब 16 साल की उम्र में ये दो बच्चे हुए। उसके बाद वह अपने गांव आ गई। जीजा ने उसे वापस ले जाने का प्रयास किया लेकिन परिजनों ने उससे मारपीट कर दी। उसके बाद से वह दोनों बच्चों के साथ गांव में ही रहने लगी। बाद में उसे महावीर के नाते रख दिया गया, बच्चे नानी के पास रह गए। कुछ समय बाद मालूम हुआ कि बच्चे गांव से गुम हो गए हैं और उनका कुछ पता नहीं चला।