
PhD Admission 2024: राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत देशभर के विश्वविद्यालयों में पीएचडी के नए नियम यूजीसी ने लागू किए हैं। नए नियमों के तहत नेट उत्तीर्ण विद्यार्थियों को अब पीएचडी प्रवेश परीक्षा नहीं देनी पड़ेगी। इसके तहत 70 प्रतिशत अंक नेट की मुख्य परीक्षा व 30 प्रतिशत अंक साक्षात्कार के जोड़े जाएंगे। इसके बाद मेरिट सूची जारी की जाएगी।
यूजीसी सचिव प्रोफेसर मनीष आर. जोशी की ओर से जारी आदेश में बताया कि अब नेट उत्तीर्ण छात्रों को कुल अंकों का 70 प्रतिशत व साक्षात्कार 30 प्रतिशत अंक जोड़कर सीधे मेरिट लिस्ट में शामिल किया जा सकेगा। बता दें, कैटेगरी 2 और 3 में प्राप्त नेट स्कोर एक वर्ष की अवधि के लिए मान्य होंगे। कोटा निजी विवि के शिक्षाविद् व सहायक आचार्य डॉ. अनुज विलियम्स ने बताया कि पीएचडी प्रवेश परीक्षा नेट पास विद्यार्थियों के लिए खत्म करना नई शिक्षा नीति के तहत अच्छा कदम है। इससे देश को अच्छे शोधार्थी तो मिलेंगे ही, साथ ही शोध गुणवता का स्तर भी सुधरेगा। विद्यार्थियों को अलग-अलग विश्वविद्यालयों की एंट्रेंस परीक्षा नहीं देनी पड़ेगी।
इन तीन कैटेगरी में बांटा जाएगा
कैटेगरी 1 : वे उम्मीदवार जो पीएचडी में एडमिशन, जेआरएफ और असिस्टेंट प्रोफेसर में नियुक्ति तीनों पदों के लिए पात्र होंगे।
कैटेगरी 2 : वे उम्मीदवार जो पीएचडी में बिना जेआरएफ एडमिशन और असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र होंगे।
कैटेगरी 3 : सिर्फ पीएचडी में दाखिले के लिए पात्र होंगे।
मिलेगी राहत या बढ़ेगी आफत
देशभर में कई ऐसे विश्वविद्यालय हैं, जहां पीएचडी प्रवेश परीक्षा समय पर नहीं हो पा रही। कई विश्वविद्यालय तो ऐसे हैं, जहां 2-3 सालों में एकबार पीएचडी प्रवेश परीक्षा का आयोजन हो रहा है। अब यूजीसी के इस निर्णय से छात्र एक ही टेस्ट के माध्यम से जेआरएफ, नेट एवं पीएचडी में प्रवेश पा सकेंगे। साथ ही, विश्वविद्यालय को प्रवेश परीक्षा कराने के झंझट से मुक्ति मिलेगी। वहीं दूसरी ओर नए नियम के आने से पीएचडी में एडमिशन लेने के लिए नेट परीक्षा में अच्छे स्कोर लाना अनिवार्य हो जाएगा, जिससे बहुत सारे छात्रों की परेशानी बढ़ सकती है।
Published on:
01 Apr 2024 08:20 am
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