कोटा. शहर के कोटा दक्षिण के वार्ड 16 की गोकुल कॉलोनी के वाशिन्दों के लिए सड़क पर भरने वाला गंदा पानी परेशानी का सबब बन गया है। इस मामले को लेकर अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक शिकायत करने के बावजूद कार्रवाई नहीं होने से स्कूली बच्चाें समेत लोगों को मजबूरन हर रोज इस गंदे पानी से होकर निकलना पड़ रहा है।गोकुल कॉलोनी निवासी हरविंदर सिंह ने बताया कि कॉलोनी के ई ब्लॉक में दोनों ओर ऊंची सड़कें बना दी गई है, जबकि ब्लॉक में सड़क नीचे है। इससे आसपास के क्षेत्र का पानी भी यहां आकर एकत्र हो जाता है। ऐसे में यहां से निकलना मुश्किल हो रहा है।
जयसिंह ने बताया कि पानी का ढलान सही नहीं होने से यहां सुबह-शाम करीब एक फीट गंदा पानी भर जाता है। इस बारे में चार साल से हर अधिकारी व जनप्रतिनिधि से मिले, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।राजेन्द्र सिंह जादौन ने बताया कि इस बारे में वार्ड पार्षद, नगर निगम व यूआईटी के अधिकारियों से भी मुलाकात की, लेकिन इसके बावजूद समस्या का कोई हल नहीं निकल रहा है।
बृजमोहन बैरवा ने बताया कि यह बोरखेड़ा की सबसे पुरानी कॉलोनियों में से एक है, लेकिन यहां जरूरत का काम भी नहीं हो रहा। दूसरी ओर शहर में सौन्दर्यकरण पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे है।योगेन्द्र सिंह ने बताया कि दोनों और ऊंची सड़क से यहां नालियों व सीवरेज का पानी भर जाता है। यहां सड़क व नाली का नया निर्माण कर ढलान का मिलान करवाया जाना चाहिए।
संतोष कंवर ने बताया कि गंदा पानी भरने से बदबू बनी रहती है। बाहर निकलना तो दूर घर के भीतर तक दुर्गन्ध रहती है। इसका स्थायी हल किया जाना चाहिए।राधा सुमन ने कहा कि गंदा पानी से मच्छरों की समस्या है। मोहल्ले के लोग कई बार बीमार हो चुके हैं।
भंवरबाई जादौन ने बताया कि कॉलोनी वालों के विरोध के बाद नगर निगम ने मोहल्ले की सफाई करवाकर इतिश्री कर ली। ऐसे में अगले दिन फिर समस्या जस की तस हो गई। समस्या का स्थायी समाधान होना चाहिए।बसंतीबाई ने कहा कि इस बारे में वार्ड पार्षद और नगर निगम अधिकारियों से बात की, तो उन्होंने बजट की कमी बताते हुए काम करने से इनकार कर दिया।
नंदिनी महावर ने कहा कि गंदगी के चलते अब कोई इस गली में आना पसंद नहीं करता। यहां के वाशिन्दों का जीना मुहाल हो गया है। इसके बावजूद कोई सुनने को तैयार नहीं है।निर्मला कुशवाह ने बताया कि आसपास कॉलोनी में सीसी रोड पर सीसी रोड चढ़ाए जा रहे है, लेकिन जहां समस्या है। उसका हल करने के लिए किसी के पास बजट नहीं है।