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थियेटर के लिए सबकुछ दांव पर, घर बेचकर गांव में बना दिया स्टूडियो, डॉक्टर, इंजीनियर और आरएएस अफसर सिखा रहे अभिनय की बारीकियां

शब्दों का ज्ञान, भाव भंगिमाएं, मूकाभिनय, आंत्रिक संचालन, चरित्र चित्रण सहित विभिन्न विधाओं से परिपूर्ण व्यक्ति ही थियेटर कलाकार होता है।

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कोटा

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Zuber Khan

Mar 26, 2018

Theater

कोटा . शब्दों का ज्ञान, भाव भंगिमाएं, मूकाभिनय, आंत्रिक संचालन, चरित्र चित्रण सहित विभिन्न विधाओं से परिपूर्ण व्यक्ति ही थियेटर कलाकार होता है। थियेटर में कोई रीटेक नहीं, लगातार अपनी कला को मंच पर प्रस्तुत करते हुए सामाजिक, धार्मिक, संदेशपरक नाटक के माध्यम से समाज में संदेश देने के साथ ही व्यवस्थाओं पर जो प्रहार होता है वह तपस्वी कलाकार ही कर सकता है।

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हाड़ौती संभाग में थियेटर किए हुए सैंकड़ों कलाकार हंै जो प्रदेश ही नहीं देश-विदेश में नाम रोशन कर रहे हैं। किसी ने अपना घर बेचकर थियेटर के कलाकारों को सीखने के लिए मंच दिया तो कई लोग अपने काम की व्यस्तता के बाद भी थियेटर से जुड़े हैं। ऐसे कई, डॉक्टर्स, इंजीनियर, आरएएस अधिकारी, टे्रन ड्राइवर सहित विभिन्न क्षेत्रों के लोग है, जो थियेटर कर रहे हैं। ये ही नहीं राजस्थान में सबसे अधिक छोटे बच्चें कोटा में ही थियेटर कर रहे हैं।

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कलाकार को सुख-सुविधा मिलना बेमानी है

सुख-सुविधा मिले उसके बाद कलाकार पैदा होंगे ये बेमानी शब्द है। कलाकार तो कठिन परिश्रम कर ही आगे आता है। और ये कर दिखाया है कोटा के नन्हें मासूमों ने। ना ही बड़ा बैनर है और ना ही मंच हैं ना कोई सुख सुविधा और व्यवस्थाएं हैं, उसके बाद भी ये नन्हें कलाकार अपनी कला के माध्यम से लोगों को रोमांचित कर रहे हैं। बारां रोड स्थित भुवनेश बाल विद्यालय स्कूल के साथ अन्य जगह के भी करीब 100 से अधिक बच्चे यहां थियेटर की बारीकियां सीख रहे हैं। घंटो अभ्यास करते हैं। इसमें से कई बच्चें कच्ची बस्तियों तक के हैं। 8 से 15 साल तक के इन बच्चों ने कोटा ही नहीं प्रदेश के कई मंचों पर अपनी कला से कोटा का नाम रोशन किया है। सुख सुविधा मिलना इनके लिए बेमानी शब्द है। इन बच्चों में हाड़ौतीभर के बच्चें शामिल हैं।

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घर बेचकर बनाया गांव में स्टूडियो

कला के प्रति समर्पण और कलाकारों को बढावा देने के लिए थियेटर आर्टिस्ट राजेन्द्र पांचाल ने अपना पुस्तेनी घर बेचकर रोटेदा गांव में नाटक के लिए स्टूडियों बनाकर रहना शुरू कर दिया है। अब यहां वे कलाकारों को कला की बारिकियां सिखा रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने केन्द्र सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर से मिलने वाली साढ़े आठ लाख रुपए की सैलरी ग्रांट को भी ठुकरा दिया है। राजेन्द्र पांचाल देश विदेश में कोटा का परचम लहरा रहे हैं।

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मरीजों की नब्ज टटोलने वाले भी थियेटर कलाकार

न्यू मेडिकल कॉलेज कोटा के प्राचार्य डॉ. गिरीश वर्मा 28 सालों से थियेटर से जुड़े हैं। उन्होंने कई नामी हस्तियों के साथ थियेटर किया है। रेडियो, दूरदर्शन पर वह कई बार अपने नाटकों का मंचन कर चुके। 25 से अधिक नाटकों में मुख्य भूमिका निभा चुके। साथ ही आधा दर्जन नाटक लिख चुके हैं व निर्देशन भी कर चुके। इनके द्वारा एड्स जागरूकता के लिए लिखा नाटक 'अभयदान ने गांव-गांव में जागरूकता का कार्य किया है। 1977 से वह लगातार नाट्य मंचन कर रहे हैं। रिटायमेंट के बाद वह थियेटर के लिए विशेष कार्य करने के इच्छुक हैं।

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थियेटर के लिए वेस्ट से बनाते है बेस्ट

थियेटर आर्टिस्ट रविन्द्र कुमार मारू नाटक के माध्यम से पढ़ाई किस तरह की जा सकती है इस विषय पर काम कर हे हैं। किताब के किसी भी अध्याय को कहानी के रूप में विद्यार्थियों को सीखाया जा रहा है। ताकी बच्चों के मन मस्तिष्क में कहानी ठीक से बैठ जाए। मारू ने बताया कि इन सभी बच्चों को वेस्ट से बेस्ट मेटिरियल से ही थियेटर कराया जा रहा है। कपड़े, पर्दे, तलवार, मुकुट आदि चीजें वेस्ट से ही बनाई जाती हैं। इसके साथ ही आरएएस अधिकारी पूनम मेहता, लोको पायलेट प्रदीप शर्मा, भुपेन्द्र जाड़ावत, अक्षय गुणावत, विवेक शर्मा, अभिषेक तिवाड़ी सहित कई कलाकार थियेटर के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं।