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देवी-देवता नहीं राजस्थान के इस शहर में पूजी जाती हैं ऐतिहासिक धरोहरों, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान

locationकोटाPublished: Dec 11, 2017 11:48:46 am

Submitted by:

​Vineet singh

ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने के लिए कोटा के बाशिंदों ने अनूठा तरीका निकाला है। इन धरोहरों को देव तुल्य मानकर वह उनकी पूजा-आरती कर रहे हैं।

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बुजुर्गों की विरासत और शहर की पहचान रहीं धरोहरों को बचाने के लिए कोटा के बाशिंदों ने अनूठा तरीका खोजा है। मंदिरों में देवी-देवताओं की पूजा करने के बजाय यहां के युवा इन धरोहरों की आरती उतार रहे हैं, ताकि लोगों में इनका रख-रखाव करने का लगाव जगे। रविवार रात को एक ऐसा ही आयोजन 18 वीं सदी में बने लाल बुर्ज पर किया गया। युवाओं ने 501 दीपकों से इस बुर्ज की आरती उतार इसके संरक्षण की अलख जगाई।
 

सड़क पर चार पत्थर रखकर किसी देवी-देवता के नाम पर पूजा-पाठ करने का सिलसिला आपने अक्सर देखा होगा, लेकिन किसी प्राचीन धरोहर और ऐतिहासिक विरासत की आरती करते हुए लोगों का मजमां कभी नहीं देखा होगा। ऐतिहासिक विरासतों को पूजने का नजारा देखना हो तो आपको आना पड़ेगा राजस्थान के शहर कोटा। कोटा के युवाओं ने ऐतिहासिक विरासतों को बचाने के लिए अनूठी मुहिम छेड़ी है। वे प्रचीन विरासतों की आरती उतारते हैं, उनकी पूजा करते हैं और लोगों को इनके संरक्षण और साफ-सफाई करने की शपथ दिलाते हैं।
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501 दीपकों से उतारी लाल बुर्ज की आरती

ऐतिहासिक धरोहर संरक्षण फाउंडेशन की ओर से रविवार शाम कैथूनीपोल स्थित 18 वीं शताब्दी के ऐतिहासिक लाल बुर्ज की 501 दीपकों से महाआरती उतारी गई। इस दौरान भारत माता की जय और धरोहरों का करेंगे संरक्षण जैसे जयघोष से आसमान गूंज उठा। बड़ी संख्या में इतिहासविद, संत-महंत और राजनेताओं के साथ युवा मौजूद थे। इसके बाद कोटा के इतिहास में लाल बुर्ज की महत्ता बता कर युवाओं को जागरुक किया गया और फिर सभी ने हाथों में दीपक उठा इस ऐतिहासिक धरोहर की आरती उतारी।
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तीन सदियों का इतिहास

इतिहासविद् फिरोज अहमद ने 18 वीं शताब्दी में बने कोटा के परकोटे के एकमात्र बुर्ज लाल बुर्ज के बारे में बताया कि कोटा रियासत के दीवान झाला जालिम सिंह ने मराठा सरदार होल्कर को कोटा रियासत की फौजी ताकत दिखाने के लिए इस बुर्ज का इस्तेमाल किया था। तब मराठे कोटा में लगान वसूली के लिए आया करते थे। पाटनपोल स्थित बडे महाप्रभुजी मंदिर के विनय बाबा ने कहा कि धरोहर संरक्षण आज समय की मांग है। इसके लिए वे भी हर संभव मदद करेंगे। रानपुर स्थित गुरूगोरखनाथ आश्रम के महंत प्रेमदास महाराज ने कहा कि विरासत को नहीं संभाला तो जल्द ही यह अपना अस्तित्व खो देगी। इसके लिए पूरा संत समाज हर समय तैयार है।
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बचाकर रहेंगे विरासत

ऐतिहासिक धरोहर संरक्षण फाउंडेशन अध्यक्ष कुंवर कमल सिंह यदुवंशी ने कहा कि फाउंडेशन शहर की ऐतिहासिक इमारतों, बुर्ज, फोर्ट, बावड़िया, धर्मिक स्थलों का अस्तित्व बचाए रखने के लिए उनके संरक्षण और सफाई के काम में जुटा रहेगा। उप महापौर सुनिता व्यास ने कहा कि ऐतिहासिक धरोहर की सारसंभाल हमारा नैतिक दायित्व है। लाल बुर्ज को अब किसी भी हाल में कचरा पॉइंट नहीं बनने देंगे। इस मौके पर उपमहापौर ने जलता दीपक हाथ में लिए लोगों को शपथ दिलाई की वे न तो इस बुर्ज को कचरा डालकर गंदा करेंगे और न किसी अन्य को यहां कचरा डालने देंगे।
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