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आखिर किसके डर से हो रही सांभर झील में कार्रवाई…

हेमन्त जोशी. कुचामनसिटी. दो साल पहले एनजीटी ने सांभर झील में से अतिक्रमण, नलकूप और विद्युत केबलें हटाने के आदेश दिए थे। अब एनजीटी में पालना रिपोर्ट पेश करनी है तो प्रशासनिक अधिकारी झील में कार्रवाई का दिखावा कर रहे हैं। कार्रवाई के दौरान हजारों बोरवेलों में से महज एक दर्जन बोरवेल नष्ट किए गए है। इसके बाद कार्रवाई एक बारगी थम भी गई है।

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Sambar lake...

sambhar lake

सांभर झील, जिसे सूखे हुए तीन दशक का समय बीत गया। पहले झील के सीने से पानी की चोरी शुरु की गई और इसके मुहानों पर अतिक्रमण कर लिया गया। सूखी झील में अपने खारड़ों तक पानी पहुंचाने के लिए विद्युत केबिलों का जाल बिछाकर करंट दौड़ाया गया। जिसकी चपेट में कई मवेशी ही नहीं श्रमिक भी आ चुके है। हरवर्ष झील में कामगार 2-3 मजदूरों की करंट से मौत होती है।

कई किलोमीटर लंबी फैली है केबलें

सांभर झील में नमक उत्पादन करने वाली सांभर साल्ट लिमिटेड कम्पनी भी चोरी छिपे झील में अवैध नलकूप खुदवाती है। ऐसे में नमक उद्यमियों ने भी झील पूरी झील में जगह-जगह नलकूपों के सुराख कर दिए। झील में प्रत्येक बीस कदम पर विद्युत केबल और हर सौ कदम पर एक ट्यूबवैल बना दिया गया है। नावां और अजमेर जिले की सरहद में जहां पानी की चोरी और विद्युत केबलों का जाल फैलाया गया है।


नहीं सुधरे हालात

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 5 सितम्बर 2017 को वेटलैण्ड रुल 2010 की पालना के लिए राज्य सरकार को निर्देश दिए थे। जिसमें अजमेर विद्युत वितरण निगम को झील में जा रही अवैध केबिलें हटवाने और कनेक्शन काटने के निर्देश दिए थे।

इनका कहना
एनजीटी के आदेशों की अनुपालना में कार्रवाई कर रहे हैं, आगामी दिनों में कार्रवाई की पालना रिपोर्ट पेश करनी है। कार्रवाई लगातार जारी रहेगी।
ब्रह्मलाल जाट
एसडीएम नावां


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