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खुशखबर : गुजरात के बाद सांभर झील में लगातार तीसरे वर्ष लेसर फ्लेमिंगो प्रवास के साथ दे रहे अंडे

एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की सांभर झील से फिर खुशखबरी आई। प्रवासी पक्षी लेसर फ्लेमिंगो के बाद में अब ग्रेटर फ्लेमिंगो को भी झील रास आने लगी। नमक नगरी के निकट यह पक्षी हर वर्ष सुदूर देशों से आ रहे, लेकिन बीते 27 साल बाद में ग्रेटर फ्लेमिंगो व 2021 में 25 वर्ष बाद लेसर फ्लेमिंगो ने अब प्रवास के साथ-साथ प्रजनन के लिए भी सांभर झील को चुन लिया।

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नावां शहर. एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की सांभर झील से फिर खुशखबरी आई। प्रवासी पक्षी लेसर फ्लेमिंगो के बाद में अब ग्रेटर फ्लेमिंगो को भी झील रास आने लगी। नमक नगरी के निकट यह पक्षी हर वर्ष सुदूर देशों से आ रहे, लेकिन बीते 27 साल बाद में ग्रेटर फ्लेमिंगो व 2021 में 25 वर्ष बाद लेसर फ्लेमिंगो ने अब प्रवास के साथ-साथ प्रजनन के लिए भी सांभर झील को चुन लिया। इससे पहले सांभर झील में इनका प्रजनन वर्ष 1995-96 में ही रिकॉर्ड किया था। पक्षी त्रासदी के बाद बेजुबान पक्षियों ने यहां प्रवास करना कम कर दिया था।

देशभर में एकमात्र स्थान है जहां फ्लेमिंगो प्रजनन करते है, वह है गुजरात में कच्छ के रण। लेकिन अब प्रदेश का पहला व देश का दूसरा स्थान सांभर झील हो गया। यहां नर-मादा पक्षी उतरते पानी की नभभूमि में घोंसले बनाते हैं। झील क्षेत्र में यह घोंसले हजारों की तादात में होते है। जो लगभग 100 से 150 ग्राम वजनी होते है। देश में बीते 2 वर्ष पूर्व गुजरात में राजकोट के एसीएफ एचके ठक्कर एवं राष्ट्रीय आद्रभूमि समिति के अध्ययन के अनुसार राजकोट में प्रजनन हुआ। जिसको लेकर वहां का प्रशासन उस क्षेत्र को फ्लेमिंगों सिटी कहने लगा। लेकिन ये पक्षी हमारे प्रदेश में भी 3 साल से सांभर झील में भी प्रजनन कर रहें तथा 27 साल में पहली बार अब यहां ग्रेटर फ्लेमिंगो भी प्रजनन कर रहे।

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जमीन से 14 इंच ऊपर उठाकर देते है अंडा
नर-मादा जमीन पर नहीं बैठ सकता। जिसके कारण घोंसले को जमीन से 12 से 14 इंच ऊपर उठाकर अंडा देते हैं। इसको नर्सरी भी कहा जाता है। इस प्रजनन के दौरान नर व मादा मिलकर अंडे को निकाल फेंकते है। उसके बाद 22 से 35 दिन बाद अंडा स्वयं खुलता है। फिर पक्षी पानी की और अग्रसर करता है तो बहाव से कोमल पंख बिखर जाते है। इसके बाद खाना मिलने के साथ नए स्थाई पंखों की प्राप्ति से ही सुंदरता नजर आती है। प्रजजन की पहचान कोमल पंख टूटने से पता चलता है। पक्षी विशेषज्ञों का मानना है की यह प्रजाती संकटग्रस्त है। इसके लिए सभी को इसे बचाने के लिए प्रयास करने होंगे।

राजहंस परिवार की इस प्रजाति का मूल ठिकाना
यों तो यूरोपीय देश के साथ ही दक्षिण एशिया में है, लेकिन सर्दियों में यह भारत में कई स्थानों पर प्रवास करता है। इस पक्षी की खासियत यह है कि एक टांग पर करीब 4 से 5 घंटे तक खड़े रह सकता है। इसी मुद्रा में यह नींद भी ले सकता है। इस पक्षी की भव्यता तब दिखती है जब यह उड़ान भरता है। अपने लंबे पंखों को विस्तार देकर यह 2-3 बार पंख फडफ़ड़ाकर फ्लाइट भरता है। ग्रेटर फ्लेमिंगो आजीवन अपने साथी के साथ ही रहता है। यहां तक की खाना भी साथ ही खाते हैं।

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इनका कहना...
सांभर झील में फ्लेमिंगो का प्रवास के साथ प्रजनन बहुत ही बड़ी खुशखबरी है। लेकिन रामसर साइट होने के बाद भी मानवीय गतिविधियों का बढ़ना इनके लिए खतरा है। यहां एक कम्पनी शूटिंग तक की अनुमति देती है। वह गलत है तथा बीते माह परिंदों की मौत का कारण यहां खुले तार भी है। हमें बेजुबानों को बचाने के लिए ठोस उपाय की आवश्यकता है।


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