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हुनरमंद अपने घरों में ही कर रहे है अपने काम

हेमन्त जोशी कुचामनसिटी. आम जन के लिए जहां घरों में समय व्यतीत करना मुश्किल हो रहा है वहीं कुछ परिवार ऐसे है जो इस समय को भी अपनी जिविकोपार्जन के उपर्युक्त समय मानते हुए अपने घरों में ही काम कर रहे हैं, जिससे लॉक डाउन हटने के बाद अपने तैयार माल को बाजार में बेच सकेंगे।

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कुचामन में अपने घर में ही जूतियां बनाने के कार्य में जुटा परिवार।

कुचामन में अपने घर में ही जूतियां बनाने के कार्य में जुटा परिवार।

हालांकि किसान वर्ग के लोग अपने-अपने खेतों में फसल कटाई के कार्य में जुटे हुए है वहीं पशुपालक भी नियमित दूध की बिक्री कर रहे है। इन सबके बीच कुछ ऐसे परिवार भी है जो अपनी कला से अपना रोजगार चला रहे हैं।
कुचामन शहर में सैंकड़ों परिवार ऐसे हैं जो अपने हाथ के हुनर के बल पर अपने परिवार का गुजारा चला रहे हैं। ऐसे परिवार आज इस संकट के दौर में भी अपना रोजमर्रा का काम संभाल रहे हैं और यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी अत्यंत जरुरी साबित होगा। किसी जमाने में कुचामन की लाख की चूडिय़ां देश-प्रदेश के हर हिस्से में पहुंचती थी लेकिन बदलते समय के साथ-साथ शहरों में भी लाख के चूड़े बनने लगे और मशीनों से तैयार हो रही चूडिय़ों के बीच यह काम कम हो गया। हालांकि अब भी कुचामन में कई परिवार यह काम कर रहे हैं। लॉक डाउन के दौरान जहां सभी लोग अपने घरों में बैठे समय जाया कर रहे ऐसे समय में यह लोग अपने-अपने घरों में चूडिय़ां बना रहे है। इसी प्रकार सोने की जड़ाई व आभूषण बनाने वाले कारीगर भी आगामी शादी-समारोह के सीजन की तैयारी अपने घरों में ही कर रहे है और आभूषण तैयार कर रहे हैँ। इसी प्रकार जूतियां तैयार करने वाले कारिगर भी इन दिनों अपने-अपने जूतियां बनाने में व्यस्त है। जूतियां बनाने वाले लोगों ने बताया कि इन दिनों चमड़ा तो नया नहीं आ रहा है लेकिन पुराने पड़े माल की जूतियां तैयार करके रख रहे हैं, जिससे बाजार खुलने के बाद बिक्री हो सकेगी। ऐसे कुटीर उद्योग चलाने वाले हुनरमंद इन दिनों कार्य भी कर रहे हैं और लॉकडाउन की पालना भी कर रहे हैं।
यह कुटीर उद्योग है घरों में कैद- कुचामन में चमड़े की जूतियां बनाने, राखियां बनाने, लाख के चूड़े बनाने, बताशे बनाने के साथ ही दरी बनाने, मास्क बनाने, कपड़े सिलने वालों समेत कई परिवार अपने कुटीर उद्योग को संचालित करते हुए कार्य कर रहे हैं। इन कार्यों को करने वाले अधिकांश लोग अब भी अपने-अपने घरों से कार्य को अंजाम दे रहे हैं। पत्रिका टीम ने जब ऐसे परिवारों के बारे में जानकारी जुटाई तो सामने आया कि यह लोग इस विषम परिस्थिति में भी खुद को अपने रोजगार के प्रति समर्पित मानते हुए कार्य को अंजाम दे रहे है।
इनका कहना-
लॉक डाउन में बाहर तो निकल नहीं सकते हैं, ऐसे में घर में शादी समारोह के जो आभूषण तैयार करने है वह घरों में ही घर रहे हैं, इससे लॉकडाउन की पालना भी हो रही है और काम भी कर रहे हैं।
अमित सोनी
कुचामन
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लॉकडाउन में परिवार की महिलाएं सहित हम जूतियां बनाने का कार्य कर रहे हैं जिससे लॉकडाउन खुलने के बाद बिक्री की जा सकेगी। इससे रोजगार भी प्रभावित नहीं होगा।
केसर मोहनपुरिया
कुचामन
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