
kuchaman
कमलेश मीना
कुचामनसिटी. कृषि के लिए पानी-जमीन का अच्छा होना जरूरी है, लेकिन तब ये दोनों मुफीद नहीं हो तो अच्छे उत्पादन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। कुचामन क्षेत्र के किसानों के ऊपर यह बात सटीक बैठ रही है। किसानों ने पानी की कमी व जमीन की उर्वरा शक्ति कम होने के बावजूद भले ही ईसबगोल की फसल की ओर रुचि दिखाई हो, लेकिन पैदावार घटने से किसानों के सपनों पर ग्रहण लग सकता है। जानकारी के अनुसार इस बार कुचामन कृषि विभाग क्षेत्र की छह तहसीलों में भले ही ईसबगोल की अच्छी बुआई हुई हो, लेकिन पानी की कमी के कारण उत्पादन कम ही रहने के आसार नजर आ रहे हैं। कृषि विभाग के अनुसार इस बार रबी की बुआई एक लाख हैक्टेयर से भी ऊपर के क्षेत्र में हुई थी। इसमें ईसबगोल की फसल का रकबा सबसे ज्यादा 17500 हैक्टेयर था। ईसबगोल के बाद किसानों ने सरसों में रुचि दिखाई थी। कृषि जानकारों की माने तो यदि पानी पर्याप्त हो और जमीन भी अच्छी हो तो ईसबगोल का उत्पादन दो क्विंटल बीघा तक पहुंच जाता है, नहीं तो एक बीघे में एक क्विंटल की पैदावार ही होती है। गौरतलब है कि ईसबगोल की फसल ने कुचामन क्षेत्र में वर्ष 2005 में दस्तक दी थी। इस फसल को सबसे पहले निमोद के किसान लाए थे। इसके बाद धीरे-धीरे कुचामन क्षेत्र में इसका रकबा बढ़ता चला गया और इस बार के रबी सीजन में सबसे ज्यादा इस फसल को बोया। कुचामन कृषि मंडी में वर्तमान में ईसबगोल का भाव 7500-8000 रुपए प्रति क्विंटल है। यदि पैदावार अच्छी हो जाए तो किसानों को दोगुना लाभ हो सकता है। लेकिन पानी की कमी व जमीन की उर्वरा शक्ति कम होने कारण किसानों को कम उत्पादन से ही संतोष करना पड़ेगा।
किसानों में जागरूकता का अभाव
जानकारों की माने तो किसानों में ईसबगोल की फसल को लेकर जागरूकता का अभाव है। हालांकि कृषि विभाग उनको ज्यादा उत्पादन व अच्छी फसल के लिए समय-समय पर जानकारी देता है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में फसल को लेकर पूरी जानकारी नहीं है। विभाग अपने कृषि अधिकारियों व पर्यवेक्षकों की कार्यशाला आयोजित कर किसानों को आवश्यक जानकारी देने की व्यवस्था भी करता है, लेकिन इसके बावजूद किसान इस फसल की पैदावार नहीं बढ़ा पाते।
इनका कहना है
ईसबगोल की अच्छी मात्रा में बुआई हुई है। कुचामन क्षेत्र में धीरे-धीरे इस फसल का रकबा बढ़ता जा रहा है। यदि पानी पर्याप्त हो और जमीन की उर्वरा शक्ति अच्छी हो तो किसान पैदावार को बढ़ा सकते हैं। हालांकि पिछले कुछ सालों से पानी की निरंतर कमी आती जा रही है।
- भंवरलाल बाजिया, सहायक निदेशक (कृषि विस्तार), कृषि विभाग, कुचामनसिटी
Published on:
25 Feb 2019 04:55 pm
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