कुछ इस तरह के देखने को मिले आंकड़ें
राज्यसभा सांसद और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की ओर से राज्यसभा में दी गई जानकारी के अनुसार देश की 324 कंपनियों की ओर से बीते 3 साल में दिवालियापन का शिकार हुई हैं। यानी औसतन प्रत्येक साल 108 और प्रत्येक महीने 9 कंपनियों को दिवालिएपन का शिकार होना पड़ा है। अगर सालवार आंकड़ें को देखें तो सबसे ज्यादा आवेदन 2018 में 149 कंपनियों दिवालियापन का शिकार हुईं। उसके बाद आंकड़ों में गिरावट ही देखने को मिली है। 2019 में यह आंकड़ां 109 और 2020 में 72 कंपनियों का ही रहा है।
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इतने आए थे आवेदन
अनुराग ठाकुर की ओर से दी गई लिखित में जानकारी के अनुसार इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड के अनुसार 2018 में दिवालियापन के लिए कुल 8330 आवेदन देखने को मिले थे। जबकि 2019 में यह आंकड़ा बढ़कर 12,091 हो गया था। 2020 में कुल 5282 आवेदन देखने को मिले थे। ठाकुर की ओर से संसद में कथन के अनुसार दिवालियापन को लेकर आवेदन में ज्यादा इजाफा देखने को नहीं मिला है।
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सीएसआर की कोई जानकारी नहीं
कंपनीज एक्ट 2013 की मानें तो वित्त वर्ष के समाप्त होने के छह महीने के अंदर कंपनियों को एनुअल जनरल मीटिंग यानी एजीएम की बैठक बुलाना आवश्यक है। जिसमें कंपनी को लेकर बड़े फैसले किए जाते हैं। फाइनेंशियल स्टेटमेंट और कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी यानी यीएसआर संबंधी तमाम जानकारी को एजीएम बैठक के 30 दिनों के भीतर फाइल करना जरूरी होता है। इसलिए चालू वित्त वर्ष के लिए किसी भी कंपनी की ओर से सीएसआर काफी आवश्यक है। जिसकी अनुराग ठाकुर की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गई है।