
लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों पर है दुनियाभर के इन अरबपतियों की नजर, जानिए क्या है पूरा मामला
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 ( Loksabha Election ) के सातवें चरण के बाद ही एग्जिट पोल में नरेंद्र मोदी ( Narendra Modi ) की अगुवाई वाली एनडीए एक बार फिर सरकार बनाते हुए दिखाई दे रही है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के इस सियासी महाकुंभ में राजनीतिक पंडितो की ही नहीं बल्कि दुनियाभर के कई अरबपतियों की भी नजर है। इन अरबपतियों की कंपनियां इस बात की बेसब्री से इंतजार कर रही हैं कि इस चुनाव में आखिर किसकी सरकार बनेगी। 23 मई से ठीक पहले ये कंपनियां भारतीय बाजार में अपने निवेश को लेकर सतर्क दिखाई दे रही हैं। इनमें फेसबुक , वॉलमार्ट की स्वामित्व वाली फ्लिपकार्ट को उम्मीद है कि जो भी पार्टी सत्ता में आती है, वो क्या भारत में नई ई-कॉमर्स पॉलिसी और डेटा लोकलाइजेशन ( data localisation ) को लेकर उनकी परेशानी खत्म करेंगी?
नए सरकार के प्रतिनिधियों से मिलने की तैयारी में दिग्गज कंपनियां
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) द्वारा पहले बैन करने और फिर बैन हटाने के बाद टिकटॉक ( tiktok ), फेसबुक ( Facebook ) और अमेजन ( Amazon ) अब नई सरकार की प्रतिनिधियों से बात करने की तैयारी में है। ये कंपनियां वित्त मंत्रालय ( ministry of finance ), आईटी मंत्रालय और डिपॉर्टमेंट ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड ( DPIIT ) से मिलने की तैयारी में हैं। डेटा लोकलाइजेशन को लेकर नए नियम से इन कंपनियों का खर्च बढ़ गया है। वहीं, गत 1 फरवरी के बाद नई ई-कॉमर्स पॉलिसी के बाद इस सेक्टर की कंपनियां ग्राहकों को भारी डिस्काउंट नहीं दे पा रही हैं। इन कंपनियों ने दावा किया है नई ई-कॉमर्स पॉलिसी की वजह से उनकी बिक्री में 20-25 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली है।
फेसबुक के भी कई सवाल
फेसबुक की स्वामित्व वाली व्हाट्सऐप बीते एक साल से पेमेंट सुविधा व्हाट्सऐप पे की बीटा वर्जन पर ही अटकी हुई है। भले ही कंपनी अपने लाखों यूजर्स का हवाला दे रही हो, लेकिन अभी भी वो अपने इस फीचर को लॉन्च नहीं कर पाई है। इसके लिए सबसे प्रमुख वजह भारतीय रिजर्व बैंक की डेटा लोकलाइजेशन नीति है। डेटा लोकलाइजेशन के तहत सभी विदेशी कंपनियों को भारतीय ग्राहकों की वित्तीय डेटा को भारत में ही स्टोर करना होगा। इसके अतिरिक्त, गूगल पे भी सरकार की नजर में है। गूगल पे को दिल्ली हाईकोर्ट इस संबंध में जवाब भी देना पड़ा था। हालांकि, गूगल ने अपने यूजर्स को कहा है कि वो यूपीआई के तहत ऑपरेट कर रही है और उसे लाइसेंस की जरूरत नहीं है।
ई-कॉमर्स सेक्टर
नई ई-कॉमर्स पॉलिसी के तहत 1 फरवरी से भारी डिस्काउंट पर रोक लगा दी गई है। इसके तीन महीने बाद तक अमेजन और फ्लिपकार्ट पर कोई फ्लैशडील या भारी डिस्काउंट नहीं देखने को मिली। साल 2019 की पहली तिमाही में सभी तरह के डिस्काउंट्स में 11-14 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई। ऐसे में इन दोनों कंपनियों को उम्मीद है कि नई सरकार के आने के बाद इनको कुछ ममद मिल सकती है। क्क2ष्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि साल 2022 तक इन दोनों कंपनियों को करीब 46 अरब डॉलर का नुकसान होगा। हालांकि, बीते दिन के एग्जिट पोल के नतीजों को देखने के बाद लगता है कि एक बार फिर नरेंद्र मोदी सत्ता में आएंगे। ऐसे में यह भी संभव है कि इससे इन कंपनियों को कोई राहत भी नहीं मिले।
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Published on:
20 May 2019 03:17 pm
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