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CCD के संस्थापक वीजी सिद्धार्थ के लेटर की जांच करेगा EY, आईटी विभाग के आरोप का लगाएगा पता

कैफे कॉफी डे के फाउंडर वी जी सिद्धार्थ 29 जुलाई से ही लापता थे 31 जुलाई की सुबह उनका शव नेत्रावती नदी से बरामद किया गया

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नई दिल्ली।कैफे कॉफी डे एंटरप्राइजेस लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने वीजी सिद्धार्थ के लेटर में कही बातों की जांच करने के लिए अर्न्स्ट एंड यंग (EY) को चुना है। दरअसल, कैफे कॉफी डे के पूर्व संस्थापक वी जी सिद्धार्थ ने अपने पत्र में इनकम टैक्स विभाग के कर्मचारी और कंपनी के वित्तीय लेनदेन के बारे में लिखा था, जिसे लेकर ईवाई जांच करेगा।


आईटी विभाग पर लगा आरोप

आपको बता दें कि कुछ दिन पहले वीजी सिद्धार्थ का शव एक नदी में मिला, जिसके बाद सभी जगह हलचल मच गई और अपनी मौत से पहले वीजी सिद्धार्थ ने एक लेटर लिखा था, जिस लेटर में उन्होंने अपने साथियों से माफी मांगी और कहा कि हमारी कंपनी के द्वारा जो भी काम किए गए हैं। उनके बारे में मेरे अलावा और कोई नहीं जानता था। इसके साथ ही उन्होंने इनकम टैक्स विभाग पर भी आरोप लगाते हुए कहा था कि आयकर विभाग के द्वारा उनको प्रताड़ित किया जा रहा था, जिसके बारे में ईवाई जांच करेगा।


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नदी में मिला शव

कैफे कॉफी डे के संस्थापक वी जी सिद्धार्थ का शव कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में नेत्रावती नदी में मिला था। दक्षिण कन्नड़ जिले के कोटेपुरा इलाके में नेत्रवती नदी पर बने पुल के पास वह कार से उतर गए और उन्होंने चालक से कहा कि वह टहलने जा रहे हैं। उन्होंने चालक से उनके आने तक रुकने को कहा। जब वह दो घंटे तक वापस नहीं आए तो चालक ने पुलिस से सम्पर्क कर उनके लापता होने की शिकायत दर्ज कराई।


27 जुलाई को लिखा लेटर

वीजी सिद्धार्थ के गायब होने के बाद एक लेटर सामने आया था। यह लेटर 27 जुलाई को लिखा गया था। पत्र लिखते हुए कहा, 'लंबे समय तक लड़ाई लड़ी, लेकिन आज मैं हिम्मत हार रहा हूं, क्योंकि मैं प्राइवेट इक्विटी साझेदारों में से एक की तरफ से शेयर वापस खरीदे जाने का और दबाव नहीं झेल सकता हूं, एक लेनदेन जो मैंने छह माह पहले एक दोस्त से बड़ी राशि उधार लेकर आंशिक तौर पर पूरा किया था।'


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धोखा देने का नहीं था इरादा

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मेरा इरादा कभी भी किसी को धोखा देने या गुमराह करने का नहीं था, मैं एक उद्यमी के रूप में विफल रहा हूं। यह मेरी ईमानदारी है। मुझे उम्मीद है कि किसी दिन आप मुझे समझेंगे, माफ करेंगे।

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