
Four businesswomen of India, whose power rings in Asia
नई दिल्ली। बिजनेस एक ऐसा क्षेत्र जहां हमेशा से पुरुषों का बोलबाला ज्यादा देखा गया है। भारत की बात करें तो रतन टाटा, मुकेश अंबानी, आदित्य बिड़ला, आनंद महिंद्रा ऐसे कई नाम लिए जा सकते हैं, जिन्होंने सफलता झंडे गाड़े हैं और अपनी कंपनियों को सफलता की नई उंचाईयों पर लेकर गए हैं। वहीं दूसरी ओर अब महिलाओं का नाम भी इस फेहरिस्त में जुडऩा शुरू हो गया है। जिन्होंने महामारी के काल में सभी चुनौतियों का सामना करते हुए अपनी कंपनी को सफलता दिलाई है। फोर्ब्स ने हाल ही में एशिया की 25 पॉवर बिजनेसवुमेन की लिस्ट जारी की है। खास बात यह है कि इस लिस्ट में 4 महिला उद्योगपतियों के नाम हैं। जिनमें से 3 उम्र 40 से भी कम है। आइए आपको भी इन चारों के नाम से रूबरू कराते हैं।
रोशनी नाडर मल्होत्रा ने कंपनी को दिया नया मुकाम
रोशनी नाडर मल्होत्रा ने अपने अरबपति पिता शिव नाडार से एचसीएल टेक्नोलॉजीज के चेयरपर्सन के रूप में कार्यभार संभाला था। मात्र 38 साल की रोशनी नाडर मल्होत्रा और एचसीएल के संस्थापक के एकमात्र बच्चे ने लंबे समय के योजनाबद्ध उत्तराधिकार से पहले अपना बकाया चुकाया। वह 12 साल तक नोएडा, स्थित कंपनी के साथ एक कार्यकारी रहीं। जिनमें से अंतिम दो वर्ष उपाध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला। इस पद रहते हुए उन्होंने आईबीएम के साथ 1.8 बिलियन डॉलर की डील करते प्रोडक्ट्स खरीदे। जिसके बाद एचसीएल कंपनी की मार्केट वैल्यू 29 साल के इतिहास में सबसे ज्यादा हो गई थी।
महामारी में बायजूस को बच्चों का सहारा
महामारी के कारण भारत में सभी स्कूल बंद रहे और बच्चे भी घर पर ही रहे। वहीं ऑनलाइन लर्निंग का प्रचार बढ़ा और बायजूस जैसी कंपनियों को बड़ा फायदा हुआ। बायजूस की सफलता के पीछे कंपनी की को-फाउंडर दिव्या गोकुलनाथ का बड़ा हाथ है। उन्होंने बताया कि हम पिछले चार महीनों में 20 मिलियन छात्रों को जोड़ चुके हैं। दिव्या एडटेक कंपनी बायजू के कंटेंट, उपयोगकर्ता के अनुभव और ब्रांड मार्केटिंग की देखरेख करती हैं। गोकुलनाथ और उनके पति बायजू रविंद्रन ने लगभग एक दशक पहले हाई स्कूल की उम्र के छात्रों को शिक्षित करने के लिए एक ऐप की आवश्यकता देखी, जबकि गणित और विज्ञान से जूझ रहे बिजनेस स्कूल के छात्रों को ट्यूशन दिया। बायजूस के भारत और विदेशों में 1,700 शहरों में 64 मिलियन सक्रिय उपयोगकर्ता हैं। कंपनी ने हाल ही में अपने प्रोग्राम लाइनअप में लाइव ट्यूशन और भारतीय-भाषा मॉड्यूल को जोड़ा है। गोकुलनाथ कहती हैं कि यह प्रत्येक छात्र के लिए फ्रंट सीट मौजूद है। मंच के साथ हर छात्र की सामने की सीट होती है। ब्याजू ने अब तक 1.6 बिलियन डॉलर का फंड रेज किया है। कंपनी की वैल्यूएशन 10 बिलियन डॉलर की हो गई है।
अमीरा ने एक लैब को बनाया बड़ी फर्म
जब देश में कोविड-19 आया तो मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर की मैनेजिंग डायरेक्टर अमीरा शाह अपने नवजात बेटे की देखभाल कर रहे थी। वो तुरंत एक्शन में आईं और उनकी फर्म ने कोविड-19 टेस्टिंग करने की सरकार से मंजूरी मांगी। जिसके बाद मेट्रोपोलिस कंपनी कोविड 19 की टेस्टिंग करने वाली भारत की पहली प्राइवेट फर्म थी। कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान 24 घंटे डिमांड आती रही और कंपनी के कर्मचारियों ने ओवरटाइम कर कंपनी के काम को जारी रखा। 2000 में अपने पिता की पैथोलॉजी लैब की कमान संभालने के बाद से अमीरा शाह ने मेट्रोपोलिस को भारत की सबसी बड़ी लिस्टेड डायग्नोस्टिक्स सर्विस ऑपरेटर्स में एक बनाया।जिसके देशभर के 210 शहरों में 125 क्लिनिकल लैब हैं। बीते एक साल में कंपनी के शेयरों में 60 फीसदी का इजाफा देखने को मिल चुका है और परिवार की संपत्ति में 600 मिलियन डॉलर से ज्यादा हो चुकी है।
विनाती के आते ही कंपनी के मार्केट कैप में 500 गुना का इजाफ
विनाती मुटरेजा 2006 में पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के व्हार्टन स्कूल से इंजीनियरिंग और फाइनेंस में डबल डिग्री हासिल करने के बाद एक कार्यकारी निदेशक के रूप में अपने पिता की विशेष रसायन कंपनी विनाती में शामिल हो गई। तब से वह मुंबई स्थित विनाती कंपनी के मुनाफे में 170 गुना सुधार, बिक्री में 16 गुना की वृद्धि, और मार्केट कैप में 500 गुना वृद्धि हो चुकी है। विनाती में उनके परिवार की हिस्सेदारी जो उनके पिता ने उनके नाम पर रखी थी, अब उनकी कीमत लगभग 1 बिलियन डॉलर है। महामारी के बावजूद कंपनी काम में किसी तरह की रुकावट पैदा नहीं हुई। उसके दो प्लांट 70 फीसदी क्षमता पर कार्य करते रहे। मौजूदा सम में विनाती सराफ मुतरेजा कंपनी की सीईओ होने के साथ मैनेजिंग डायरेक्टर भी है।
Updated on:
01 Nov 2020 12:44 pm
Published on:
01 Nov 2020 12:39 pm
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