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भारत के इस अरबपति के पास है अकूत संपत्ति, लेकिन इसमें से 1 रुपये भी नहीं कर सकता है खर्च

पलोनजी मिस्त्री और टाटा समूह के बीच ये विवाद साल 2016 में एक बोर्डरुम मीटिंग के दौरान जन्म लिया था जब मिस्त्री को टाटा समूह के चेयरमैन पद से बेदखल कर दिया गया था।

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नई दिल्ली। अरबपति पलोनजी मिस्त्री के पास करीब 20 अरब डाॅलर की संपत्ति है लेकिन उसका 84 फीसदी हिस्सा वो खर्च ही नहीं कर सकते हैं। इतनी बड़ी रकम में से एक रुपये भी खर्च करने के लिए उन्हें भारत के सबसे बड़े व्यापारी घराने से कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ रही है। पलोनजी मिस्त्री और टाटा समूह के बीच ये विवाद साल 2016 में एक बोर्डरुम मीटिंग के दौरान जन्म लिया था जब मिस्त्री को टाटा समूह के चेयरमैन पद से बेदखल कर दिया गया था। मिस्त्री टाटा संस लिमिटेड में सबसे बड़े शेयरधारकों में से एक हैं। मौजूदा समय में टाटा संस लिमिटेड करीब 100 अरब डाॅलर की कंपनी है। पिछले कुछ समय में मिस्त्री परिवार ने टाटा संस के खिलाफ कई लाॅसूट दाखिल किया है जिनमें आरोप लगा है कि कंपनी अल्पसंख्यकों के हितों और गवर्नेंस का दमन करती है।


बोर्ड से मंजूरी के बिना नहीं बचे सकते शेयर्स
करीब दो साल पहले बोर्डरुम बैठक एक बार फिर इसलिए चर्चा में हैं क्योंकि हाल ही में टाट संस ने अपने शेयरधारकों को स्टेक बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस प्रतिबंध के बारे में सरकार को इसी महीने पता चला है। मिस्त्री के पास टाटा संस में 18.4 फीसदी हिस्सेदारी है जिसकी कुल वैल्यू 16.7 अरब डाॅलर है। लेकिन मिस्त्री इस स्टेक को तब तक नहीं बेच सकते जब तक उन्हें कंपनी की बोर्ड से मंजूरी नहीं मिल सकती। ये वही बोर्ड है जिससे उनका परिवार बीते दो साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहा है।

नियमों में बदलाव बना पेंच
बताते चलें कि टाटा संस एक प्राइवेट कंपनी है लेकिन पुराने कानूनी नियमों के तहत कंपनी की साइज को देखते हुए इसे पब्लिक लिमिटेड कंपनी ही माना जाता रहा है। इस मामले से जुड़े एक जानकार के मुताबिक, इससे शेयरधारकों को अपने शेयर बेचने में सहूलियत रहती थी। लेकिन इस नियम को पिछले कुछ सालों में बदल दिया गया है। नियमों में इस बदलाव के बाद कंपनी के शेयरधारकों को पिछले साल ही अपने लीगल स्टेटस बदलने की अनुमति मिली थी। जानकार ने बताया कि, एक प्राइवेट कंपनी होने के तौर पर शेयरधारकों को अपने शेयर ट्रांसफर करने को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए और ये बोर्ड निदेशकों की सहमति होना चाहिए।


करीब एक सदी पुराने रिश्ते में आई दरार
पिछले सप्ताह ही दिल्ली के एक कोर्ट में सुनवाई हुई जिसमें टाटा संस के कन्वर्जन को लेकर सरकार की अनुमति पर रोक लगाने का आग्रह किया गया था। लेकिन इस मामले को देखते हुए इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि ये मामला सर्वाेच्च न्यायालय तक जा सकता है। क्योंकि हारने वाली पार्टी के पास दोबारा अपील करने का अधिकार होगा। इस विवाद ने करीब एक सदी पुराने रिश्ते को कड़वा बना दिया है। मिस्त्री की कंपनी और टाटा संस के बीच वित्तीय जुड़ाव साल 1927 से है। हालांकि मिस्त्री परिवार ने 1960 से इक्विटी अधिग्रहण पहली बार किया था। मिस्त्री को ये स्टेक अपने पिता से मिली थी जिन्होंने टाटा ग्रुप के आॅटोमोबाइल फैक्ट्री और स्टील मिल्स की शुरुआत की थी। साल 1865 में शुरु हुई शापूरजी पलोनजी ग्रुप मुंबई में भारतीय रिजर्व बैंक और ताज महल पैलेस होटल के निर्माण के लिए जिम्मेदार रही चुकी है।