scriptआज भी नासा में महिलाओं से होता भेदभाव | 2019 was year of the woman, yet women still are minority at NASA | Patrika News

आज भी नासा में महिलाओं से होता भेदभाव

locationजयपुरPublished: Dec 02, 2019 07:26:17 pm

Submitted by:

Mohmad Imran

पुरुषों के बराबर ही काबिल और मेहनत करने के बावजूद नासा में महिलाओं को नहीं मिलता बराबरी का दर्जा

आज भी नासा में महिलाओं से होता भेदभाव

आज भी नासा में महिलाओं से होता भेदभाव

अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा में यह साल महिला अंतरिक्षयात्रियों के नाम रहा। अक्टूबर में अंतरिक्ष यात्री क्रिस्टीना कोच और जेसिका महर ने जहां दुनिया की पहली महिला ‘स्पेस वॉक’ की वहीं स्वयं कोच 328 दिनों तक अंतरिक्ष स्टेशन पर रहने वाली दुनिया की पहली महिला एस्ट्रोनॉट बनने जा रही हैं जो किसी भी महिला के लिए सबसे लंबा एकल अंतरिक्ष मिशन है। वहीं नासा ‘आर्टेमिस’ चंद्र मिशन की योजना भी बना रहा है। 2024 में जाने वाले इस चंद्र मिशन में संभवत: दुनिया की पहली महिला होगी जो चांद पर कदम रखेगी।
क्रिस्टीना कोच
28 फीसदी को ही उच्च पद
लेकिन इन तमाम उपलब्धियों के बीच नासा की ये महिला अंतरिक्ष यात्री आज भी हाई-प्रोफाइल नियुक्तियों और रैंक के मामले में पुरुषों से कहीं पीछे हैं। नासा में महिला कर्मचारियों की संख्या एक तिहाई ही है। एजेंसी द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, वरिष्ठ कार्यकारी नेतृत्व के पदों पर केवल 28 फीसदी और वरिष्ठ वैज्ञानिक कर्मचारियों की भूमिका में महज 16 फीसदी महिलाएं ही हैं। ऐसे ही एविएशन वीक द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, अमरीकी एयरोस्पेस उद्योग में केवल 24 फीसदी कर्मचारी ही महिलाएं हैं। एजेंसी में महिला-पुरुष के बीच लिंगभेद कितना गहरा है इसका अंदाजा हाल ही नासा की ओर से जारी उसके सम्मान पुरस्कारों से हो जाता है। एजेंसी ने कुल 42 लोगों को सम्मान के लिए चुना लेकिन इनमें केवल 2 ही महिला वैज्ञानिक थीं। नासा की डीप स्पेस एक्सप्लेारेशन की मुख्य प्रबंधक अधिकारी मैरी लिन डिट्टमर का कहना है कि नासा में आज भी पुरुष और अश्वेत मानसिकता हावी है।
आज भी नासा में महिलाओं से होता भेदभाव
नासा में भी ‘मीटू’ जैसे विवाद
अमरीका की सबसे प्रतिष्ठित सरकारी एजेंसी होने के बावजूद नासा भी ‘मीटू’ जैसे विवादों से खुद को बचा नहीं सका। हालांकि यहां ऐसे मामलों की बहुत लंबी फेहरिस्त नहीं है लेकिन महिलाओं के साथ हुए यौन शोषण और प्रताडऩा के कई बड़े मामले सामने आ चुके हैं। 2012 में लॉकहीड मार्टिन की नवनियुक्त होने वाली महिला सीईओ को सिर्फ इसलिए संस्था से बाहर निकाल दिया गया कि उसका अपने अधीनस्थ के साथ प्रेम प्रसंग था। वहीं 2010 में बोइंग ने अमरीकी समान रोजगार अवसर आयोग की ओर से दायर मुकदमों में सैटलमेंट की कोशिश की जिसमें महिलाओं के साथ यौन भेदभाव का आरोप लगाया गया था। ऐसे ही एक अन्य मामले में दो महिला इंजीनियरों ने कहा कि साथी पुरुष कर्मचारी उन पर अश्लील टिप्पणियां करते हैं। जब उन्होंने शिकायत की तो उन्हें और ज्यादा प्रताडि़त किया गया। ऐसे ही एक अन्य मामले में एक महिला कर्मचारी ने आरोप लगाया कि उसके पुरुष समकक्षों ने उसे प्रताडि़त किया और उसके उपकरण तोड़ दिए, जिससे उसे अपना काम करना मुश्किल हो गया। जब उसने इसकी शिकायत की तो कंपनी ने कोई कार्रवाई नहीं की। जिसका नतीजा यह हुआ कि उसका उत्पीडऩ जारी रहा। नासा में लगभग 17 हजार कर्मचारी हैं। एजेंसी के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल इस तरह की 62 शिकायतें प्रबंधन के पास आई थीं जिनमें 27 यौन उत्पीडऩ के संबंध में की गई थीं।
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