वहीं हैकर भी कार के सिस्टम को हैक कर सकते हैं और उसका पूरा नियंत्रण अपने हाथ में ले सकते हैं। 2019 में हैकर्स ने अमरीका के कुछ शहरों में ऑनलाइन कनेक्ट कारों के सिस्टम को हैक ऐसा कर के भी दिखाया है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, यूरोपोल और साइबरस्पेसिटी कंपनी ट्रेंड माइक्रो, साइबर-अपराधी स्वायत्त कारों, ड्रोन और आइओटी से जुड़े वाहनों का उपयोग सासइबर हमले करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआइ) और मशीन लर्निंग (एमएल) जैसी प्रौद्योगिकियों का लाभ उठा सकते हैं। नए वाहनों में उपयोग होने वाली एम्बेडेड टेथर या स्मार्टफोन मिररिंग या फेस रिकग्निशन तकनीक के जरिए आसानी से निजी डेटा चुराया जा सकता है।
जियोलोकेशन, पर्सनल ट्रिप रेकॉर्ड, और वित्तीय विवरण, क्रिप्टोग्राफिक कीज, इंजिन फेल्योर, एंटी लॉक ब्रेक सिस्टम डिसएबल्ड, व्यक्तिगत जानकारी के कुछ उदाहरण हैं जो संभवत: एआई और एमएल का उपयोग करके वाहन के सिस्टम के माध्यम से चुराए जा सकते हैं। स्वचालित ड्रोन को हैक कर भी हमले किया जा सकते हैं।
फैक्ट्स
-2019 में जीपीएस पासवर्ड में सेंधमारी से भारत, दक्षिण अफ्रीका, मोरक्को, फिलिपींस समेत दुनिया के कई देशों में कार हैकिंग की गई।
-10 हजार से अधिक गाडिय़ों के जीपीएस सिस्टम की हैकिंग का दावा अब तक एल एंड एम नामक हैकर ग्रुप का
-330 फीट की दूरी से भी ब्लूटूथ ऐप की मदद से जीपीएस सॉफ्टवेयर को हैक कर सकते हैं।
-04 साल में जीपीएस फीचर वाली कारों की संख्या 77.7 करोड़ होने का अनुमान है
-1.06 खरब रुपए से ज्यादा का होगा कार जीपीएस सिस्टम का बाजार 2025 तक
-12345 था ज्यादातर गाडिय़ों का पासवर्ड जिनका जीपीएस सिस्टम हैक किया गया, यह दुनिया का सबसे कॉमन पासवर्ड है