शहर में विगत 8 वर्षों से अंडर ग्राउंड सीवरेज प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। इस दौरान कई हादसे हुए। सड़कों की खुदाई, गड्ढे, धूल-धक्कड़ और बारिश में कीचड़ से नागरिक तब से लेकर आज तक हलाकान हो रहे हैं। परियोजना की लागत भी लगातार बढ़ती जा रही है। वर्ष 2015 तक इस काम में 310.25 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके। अब यह परियोजना 422 करोड़ 94 लाख रुपए तक पहुंच गई है। इसके अलावा सड़कों का निर्माण, डिवाइडर निर्माण, बार-बार डामरीकरण व कंक्रीटीकरण पर करोड़ों रुपए के खर्च अलग। लेकिन सीवरेज का काम आज तक पूरा नहीं हो सका है। काम कब तक पूरा होगा, अधिकारी भी यह बता पाने की स्थिति में नहीं है। हालत यह हो गई है कि इस परियोजना के सक्सेस होने पर भी संदेह जाहिर किया जाने लगा है। इन सबके पीछे अफसरों की लापरवाही और भ्रष्टाचार को कारण माना जा रहा है। पहली बार शासन ने इस पर नजरें टेढ़ी की हैं। परियोजना में हुई गड़बडिय़ों की जांच के आदेश दिए गए हैं।