इस उपकरण को 1952 में दो भाइयों बर्नार्ड और फ्रांस्वा बस्कट ने बनाया था। इसमें कांच की छड़ें, बर्गलास कोन और एक बड़ी स्टील प्लेट है। इसे बजाने वाले कलाकार अपनी गीली उंगलियों से कांच की छड़ को रगड़ते हैं जिससे उत्पन्न होने वाले कंपन को कोन और स्टील की प्लेट और बढ़ा देती है। इस कंपन स्वर को ‘इथेरियल’ और कभी-कभी भुतहा (Spooky or Haunted) भी कहा जाता है। अंतरिक्ष पटकथाओं के लिए इससे निकलने वाली ध्वनियां एकदम सटीक धुने हैं। जिन श्रोताओं ने इसे सुना है वे इसकी गहराई को अंतरिक्ष के फैलाव जितना असीमित मानते हैं। यूट्यूबर सिद्धार्थ तिवारी का कहना है कि यह संगीत आत्मा को छूता है। सिद्धार्थ के मुताबिक इसकी धुन काफी कुछ भारतीय साज़ सारंगी (Indian Instrument Sarangi) से मिलती-जुलती है।